नवीनतम लेख

मेरी मैया तेरे दरबार ये, दीवाने आए है (Meri Maiya Tere Darbar Ye Diwane Aaye Hai)

मेरी मैया तेरे दरबार ये,

दीवाने आए है,

भक्ति में तेरी डूब के ये,

भक्ति में तेरी डूब के ये,

मस्ताने आए है,

मेरी मईया तेरे दरबार ये,

दीवाने आए है ॥


सारे जग में तेरा बोल बाला,

तेरा दरबार है सबसे आला,

जो भी आए माँ दर पे सवाली,

उसकी झोली भरी तूने खाली,

माँ श्रद्धा सुमन की भेट तुम्हे,

चढ़ाने आए है,

मेरी मईया तेरे दरबार ये,

दीवाने आए है ॥


तू ही करुणा का सागर भवानी,

नही तुझसा बड़ा कोई दानी,

तेरी भक्ति में शक्ति समानी,

जाए महिमा ना तेरी बखानी,

तेरे चरणों में अपना शीश,

ये माँ झुकाने आए है,

मेरी मईया तेरे दरबार ये,

दीवाने आए है ॥


आओ मिल जगराता मनाए,

झूमे भक्ति में नाचे गाए,

ढोल जम के बजा मेरे ढोली,

माँ के भक्तो की निकली है टोली,

माँ तेरे नाम की लाल ध्वजा,

लहराने आए है,

मेरी मईया तेरे दरबार ये,

दीवाने आए है ॥


मेरी मैया तेरे दरबार ये,

दीवाने आए है,

भक्ति में तेरी डूब के ये,

भक्ति में तेरी डूब के ये,

मस्ताने आए है,

मेरी मईया तेरे दरबार ये,

दीवाने आए है ॥

ललिता जयंती 2025 कब है

माता ललिता को समर्पित यह ललिता जयंती हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। बता दें कि ललिता व्रत, शरद नवरात्रि के पाँचवें दिन किया जाता है।

मां अन्नपूर्णा चालीसा (Maa Annapurna Chalisa)

विश्वेश्वर पदपदम की रज निज शीश लगाय ।
अन्नपूर्णे, तव सुयश बरनौं कवि मतिलाय ।

क्या है कालाष्टमी कथा

हिंदू धर्म में हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इसे भैरव अष्टमी के रूप में भी जाना जाता है।

मोहे रंग दो अपने ही रंग में, मोहे ओ सांवरिया(Mohe Rang Do Apne Hi Rang Mein Mohe O Sawariya)

नैना लागे जब मोहन से,
नैना को कुछ रास ना आए,

यह भी जाने