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हो गए भव से पार लेकर नाम तेरा(Ho Gaye Bhav Se Par Lekar Naam Tera)

हो गए भव से पार लेकर नाम तेरा ॥

वाल्मीकि अति दुखी दीन थे,

बुरे कर्म में सदा लीन थे,

करी रामायण तैयार लेकर नाम तेरा,

हो गए भव से पार लेकर नाम तेरा ॥


थे नल-नील जाति के वानर,

राम नाम लिख दिया शिला पर,

हो गई सेना पार लेकर नाम तेरा,

हो गए भव से पार लेकर नाम तेरा ॥


भरी सभा में द्रुपद दुलारी,

कृष्ण द्वारिकानाथ पुकारी,

बढ़ गया चीर अपार लेकर नाम तेरा,

हो गए भव से पार लेकर नाम तेरा ॥


गज ने आधा नाम पुकारा,

गरूड़ छोड़ कर उसे उबारा,

किया ग्राह उद्धार लेकर नाम तेरा,

हो गए भव से पार लेकर नाम तेरा ॥


मीरा गिरधर नाम पुकारी,

विष-अमृत कर दिए मुरारी,

खुलगए चारों द्वार लेकर नाम तेरा,

हो गए भव से पार लेकर नाम तेरा ॥


राम नाम को जो कोई गावे,

अपने तीनों लोक बनावे,

है जीवन का सार लेकर नाम तेरा,

हो गए भव से पार लेकर नाम तेरा ॥


जिनको स्वयं तार नहीं पाये,

नाम लिये से मुक्ति पाये,

महिमा नाम अपार लेकर नाम तेरा,

हो गए भव से पार लेकर नाम तेरा ॥

आज राम मेरे घर आए (Aaj Ram Mere Ghar Aaye)

आज राम मेरे घर आए,
मेरे राम मेरे घर आए,

तेरी मंद मंद मुस्कनिया पे बलिहार(Teri Mand Mand Mushakniya Pe Balihar)

तेरी मंद-मंद मुस्कनिया पे,
बलिहार संवारे जू ।

षटतिला एकादशी मंत्र

सनातन धर्म में एकादशी तिथि का काफी महत्व है। माघ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को षटतिला एकादशी के कहते हैं।

सन्तोषी माता/शुक्रवार की ब्रत कथा (Santhoshi Mata / Sukravaar Ki Vrat Katha

एक नगरमें एक बुढ़ियाके सात पुत्र थे, सातौके विवाह होगए, सुन्दर स्त्री घर में सम्पन्न थीं। बड़े बः पुत्र धंधा करते थे बोटा निठल्ला कुछ नहीं करता था और इस ध्यान में मग्न रहता था कि में बिना किए का खाता हूं।