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माँ शारदे! हम तो हैं बालक तेरे(Maa Sharde Ham To Balak Hain Tere)

माँ शारदे, माँ शारदे,

माँ शारदे, माँ शारदे,

ओ मैया हम तो हैं बालक तेरे माँ,

॥माँ शारदे माँ शारदे...॥


तू है दयालु बड़ी,

माँ वीणा पाणी,

करती दया हो सब पे,

अम्बे भवानी,

हो मैया विद्या का आके,

हमको भी भण्डार दे,

॥माँ शारदे, माँ शारदे...॥


करदो हमारी आज,

माँ पूरी आशा,

कब से है ‘शर्मा’ तेरे,

दर्शन का प्यासा,

ओ मैया दर्शन हमे भी,

आ के माँ एक बार दे,

॥माँ शारदे, माँ शारदे...॥


मांगे न ‘लक्खा’ तुमसे,

दौलत खजाना,

सात स्वरों का मुझको,

अमृत पिलाना,

ओ मैया मेरी ही माता के जैसा,

बस प्यार दे,

॥माँ शारदे, माँ शारदे...॥


माँ शारदे माँ शारदे,

मा शारदे माँ शारदे,

ओ मैया हम तो हैं बालक तेरे माँ,

॥माँ शारदे, माँ शारदे...॥

विद्यारंभ संस्कार पूजा विधि

हिंदू संस्कृति में मनुष्य के जीवन के अलग अलग पड़ावों को संस्कारों के साथ पवित्र बनाया जाता है। इन्हीं में से एक महत्वपूर्ण संस्कार है विद्यारंभ संस्कार । यह संस्कार बच्चों के जीवन में शिक्षा की शुरुआत का प्रतीक है।

श्री परशुराम चालीसा (Shri Parshuram Chalisa)

श्री गुरु चरण सरोज छवि, निज मन मन्दिर धारि।
सुमरि गजानन शारदा, गहि आशिष त्रिपुरारि।।

कब सुधि लोगे मेरे राम (Kab Sudhi Loge Mere Ram)

कब सुधि लोगे मेरे राम,
मैं तो नैन बिछाई तेरी राह में,

देश के प्रमुख सूर्य मंदिर

हिंदू धर्म में, सूर्यदेव का विशेष स्थान है। वे नवग्रहों में प्रमुख माने जाते हैं। साथ ही स्वास्थ्य, ऊर्जा और सकारात्मकता के प्रतीक हैं।