नवीनतम लेख
धन जोबन और काया नगर की, कोई मत करो रे मरोर ॥
प्रथम वेद ब्रह्मा को दे दिया, बना वेद का अधीकारी ।
देवता भी स्वार्थी थे, दौड़े अमृत के लिए,
सबको अमृत बांटे, खुद विष पि जाते है,
देवो में सबसे बड़े, मेरे महादेव हैं,
नाथों के नाथ महादेव शिव शंकर भीड़ में सुनसान में साक्षात् शम्भुनाथ
गणपति बाप्पा मोरया मंगल मूर्ति मोरया
देव है ये भोले भक्तो का, खुद भी भोला भाला,
दर बालाजी के अर्जी लगाले, आज श्रद्धा से तू बाबा को मनाले,
दानी बड़ा ये भोलेनाथ, पूरी करे मन की मुराद,