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देवता भी स्वार्थी थे, दौड़े अमृत के लिए (Dewata Bhi Swarthi The, Daude Amrat Ke Liye)

देवता भी स्वार्थी थे,

दौड़े अमृत के लिए,

हम सदा उनको भजेंगे,

जो जहर हंस के पिए,

हम नमन उनको करेंगे,

जो जहर हंस के पिए ॥


जो रहे अमृत के पीछे,

सोचो वो क्या देव है,

जगत के खातिर विष पिया जो,

वो बने महादेव है,

हम नमन उनको करेंगे,

हम नमन उनको करेंगे,

जो सदा सबको दिए,

हम सदा उनको भजेंगे,

जो जहर हंस के पिए ॥


औरो के खातिर जगत में,

सब नहीं जी सकते है,

जो है अविनाशी अजन्मा,

जहर वही पी सकते है,

हम नमन उनको करेंगे,

हम नमन उनको करेंगे,

जो मरे ना ना जिए,

हम सदा उनको भजेंगे,

जो जहर हंस के पिए ॥


देवता भी स्वार्थी थे,

दौड़े अमृत के लिए,

हम सदा उनको भजेंगे,

जो जहर हंस के पिए,

हम नमन उनको करेंगे,

जो जहर हंस के पिए ॥

जय श्री राम राजा राम (Jai Shri Ram Raja Ram)

तेरे ही भरोसे हैं हम
तेरे ही सहारे

जाना है मुझे माँ के दर पे (Jana Hai Mujhe Maa Ke Dar Pe)

जाना है मुझे माँ के दर पे,
सुनो बाग के माली,

जो सुमिरत सिधि होइ (Jo Sumirat Siddhi Hoi)

जो सुमिरत सिधि होइ गन नायक करिबर बदन ॥
करउ अनुग्रह सोइ बुद्धि रासि सुभ गुन सदन ॥ 1 ॥

कुंभ संक्रांति के दिन दान

हिंदू धर्म में, सूर्य देव के राशि परिवर्तन को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। सूर्य जब दूसरे राशि में प्रवेश करते हैं, तब इसे संक्रांति कहा जाता है। दरअसल, सूर्य जिस राशि में प्रवेश कर सकते हैं, उस दिन को उसी राशि के संक्रांति के नाम से जाना जाता है।

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