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भोले की किरपा से हमरे, ठाठ निराले है,
भोले की किरपा, जिस पर भी रहती है,
भोला भाला तू अंजनी का लाला, है बजरंग बाला,
भेजा है बुलावा, तूने शेरा वालिए ओ मैया तेरे दरबार,
भए प्रगट कृपाला दीनदयाला, कौसल्या हितकारी ।
भवानी मैया शारदा भजो रे, शारदा भजो रे,
भवसागर तारण कारण हे । रविनन्दन बन्धन खण्डन हे ॥
भाव सुमन लेकर मैं बैठा, गौरी सुत स्वीकार करो,
भटकूं क्यों मैं भला, संग मेरे है सांवरा,
कालो के काल है, मृत्यु के है वो राजा,