नवीनतम लेख

भोले की किरपा, जिस पर भी रहती है (Bhole Ki Kripa Jis Par Bhi Rahti Hai)

भोले की किरपा,

जिस पर भी रहती है,

उसके घर में सुख की,

गंगा बहती है,

पूछ लो चाहे जाके,

इसके भक्तो से,

मैं नही कहता,

सारी दुनिया कहती है,

भोलें की किरपा,

जिस पर भी रहती है,

उसके घर में सुख की,

गंगा बहती है ॥


प्यार का सागर है ये,

करुणा की मूरत है,

साथ है बाबा तो फिर,

किसकी जरुरत है,

मूरत इसकी,

जिसके दिल में होती है,

उसके घर में सुख की,

गंगा बहती है,

भोलें की किरपा,

जिस पर भी रहती है,

उसके घर में सुख की,

गंगा बहती है ॥


बाबा के चरणो में,

तीरथ धाम है सारे,

है यही पे स्वर्ग,

आकर देख ले प्यारे,

जिसकी आँखे

इसके चरण को धोती है,

उसके घर में सुख की,

गंगा बहती है,

भोलें की किरपा,

जिस पर भी रहती है,

उसके घर में सुख की,

गंगा बहती है ॥


प्रेम से जिसने भी,

बाबा को पुकारा है,

भोले ने आकर,

दिया उसको सहारा है,

भोलेनाथ की माला,

का जो मोती है,

उसके घर में सुख की,

गंगा बहती है,

भोलें की किरपा,

जिस पर भी रहती है,

उसके घर में सुख की,

गंगा बहती है ॥


वो है बड़भागी जिसे,

बाबा ने अपनाया,

है मेरे सर पर भी,

उसके प्यार का साया,

‘सोनू’ जिसकी चिंता,

बाबा करते है,

उसके घर में सुख की,

गंगा बहती है,

भोलें की किरपा,

जिस पर भी रहती है,

उसके घर में सुख की,

गंगा बहती है ॥


भोले की किरपा,

जिस पर भी रहती है,

उसके घर में सुख की,

गंगा बहती है,

पूछ लो चाहे जाके,

इसके भक्तो से,

मैं नही कहता,

सारी दुनिया कहती है,

भोलें की किरपा,

जिस पर भी रहती है,

उसके घर में सुख की,

गंगा बहती है ॥

गुरुवायुर एकादशी मंदिर की पौराणिक कथा

"दक्षिण का स्वर्ग" कहे जाने वाले अतिसुन्दर राज्य केरल में गुरुवायुर एकादशी का पर्व पूरी आस्था के साथ मनाया जाता है। यह पर्व गुरुवायुर कृष्ण मंदिर में विशेष रूप से मनाया जाता है, जो भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है।

कभी प्यासे को पानी पिलाया नहीं (Kabhi Pyase Ko Pani Pilaya Nahi)

कभी प्यासे को पानी पिलाया नहीं, ,br> बाद अमृत पिलाने से क्या फायदा,

मन फूला फूला फिरे जगत में(Mann Fula Fula Phire Jagat Mein)

मन फूला फूला फिरे,
जगत में कैसा नाता रे ॥

यह भी जाने