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भाव सुमन लेकर मैं बैठा, गौरी सुत स्वीकार करो (Bhav Suman Lekar Main Baitha Gaurisut Swikar Karo)

भाव सुमन लेकर मैं बैठा,

गौरी सुत स्वीकार करो,

हे गणनायक शुभ वरदायक,

हे गणनायक शुभ वरदायक,

आकर सिर पर हाथ धरो,

भाव सुमन लेकर मै बैठा,

गौरी सुत स्वीकार करो ॥


विद्यावारिधि बुद्धिविधाता,

आप दया के सागर हो,

भक्तों के दुःख हरने वाले,

ना तुमसे करुणाकर हो,

रिद्धि सिद्धि के देने वाले,

हम पर भी उपकार करो,

भाव सुमन लेकर मै बैठा,

गौरी सुत स्वीकार करो ॥


लम्बोदर गजवदन विनायक,

विघ्न हरण कर लो सारे,

मोदक प्रिय मुदमंगल त्राता,

दुःख दारिद्र हरने वाले,

लाज तुम्हारे हाथ गजानन,

भव से बेड़ा पार करो,

भाव सुमन लेकर मै बैठा,

गौरी सुत स्वीकार करो ॥


‘आलूसिंह’ तेरी महिमा का,

पार नहीं कोई पाया,

त्रास हरो सांवल की सारी,

द्वार आपके ये आया,

दास तुम्हारे श्री चरणों का,

हम सबके भंडार भरो,

भाव सुमन लेकर मै बैठा,

गौरी सुत स्वीकार करो ॥


भाव सुमन लेकर मैं बैठा,

गौरी सुत स्वीकार करो,

हे गणनायक शुभ वरदायक,

हे गणनायक शुभ वरदायक,

आकर सिर पर हाथ धरो,

भाव सुमन लेकर मै बैठा,

गौरी सुत स्वीकार करो ॥


मौनी अमावस्या क्यों रखा जाता है मौन व्रत

मौनी अमावस्या पर मौन रहने का नियम है। सनातन धर्म शास्त्रों में इस दिन स्नान और दान की पंरपरा सदियों से चली आ रही है। यह केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं है, बल्कि यह मानसिक और आध्यात्मिक शुद्धि का एक महत्वपूर्ण साधन भी है।

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प्रभु जी तुम चंदन हम पानी,
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श्री परशुराम जी की आरती (Shri Parshuram Ji Ki Aarti)

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