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भाव सुमन लेकर मैं बैठा, गौरी सुत स्वीकार करो (Bhav Suman Lekar Main Baitha Gaurisut Swikar Karo)

भाव सुमन लेकर मैं बैठा,

गौरी सुत स्वीकार करो,

हे गणनायक शुभ वरदायक,

हे गणनायक शुभ वरदायक,

आकर सिर पर हाथ धरो,

भाव सुमन लेकर मै बैठा,

गौरी सुत स्वीकार करो ॥


विद्यावारिधि बुद्धिविधाता,

आप दया के सागर हो,

भक्तों के दुःख हरने वाले,

ना तुमसे करुणाकर हो,

रिद्धि सिद्धि के देने वाले,

हम पर भी उपकार करो,

भाव सुमन लेकर मै बैठा,

गौरी सुत स्वीकार करो ॥


लम्बोदर गजवदन विनायक,

विघ्न हरण कर लो सारे,

मोदक प्रिय मुदमंगल त्राता,

दुःख दारिद्र हरने वाले,

लाज तुम्हारे हाथ गजानन,

भव से बेड़ा पार करो,

भाव सुमन लेकर मै बैठा,

गौरी सुत स्वीकार करो ॥


‘आलूसिंह’ तेरी महिमा का,

पार नहीं कोई पाया,

त्रास हरो सांवल की सारी,

द्वार आपके ये आया,

दास तुम्हारे श्री चरणों का,

हम सबके भंडार भरो,

भाव सुमन लेकर मै बैठा,

गौरी सुत स्वीकार करो ॥


भाव सुमन लेकर मैं बैठा,

गौरी सुत स्वीकार करो,

हे गणनायक शुभ वरदायक,

हे गणनायक शुभ वरदायक,

आकर सिर पर हाथ धरो,

भाव सुमन लेकर मै बैठा,

गौरी सुत स्वीकार करो ॥


सब देव चले महादेव चले(Sab Dev Chale Mahadev Chale)

सब देव चले महादेव चले,
ले ले फूलन के हार रे,

मां काली की पूजा विधि

मां काली को शक्ति, विनाश और परिवर्तन की प्रतीक हैं। उन्हें दुर्गा का एक रूप माना जाता है और वे दस महाविद्याओं में से एक हैं। मां काली का रूप उग्र और भयानक है, लेकिन वे अपने भक्तों के लिए सुरक्षा प्रदान करती हैं।

ढँक लै यशोदा नजर लग जाएगी (Dhank Lai Yashoda Najar Lag Jayegi)

ढँक लै यशोदा नजर लग जाएगी
कान्हा को तेरे नजर लग जाएगी ।

नर्मदा नदी की कथा

नर्मदा नदी पहाड़, जंगल और कई प्राचीन तीर्थों से होकर गुजरती हैं। वेद, पुराण, महाभारत और रामायण सभी ग्रंथों में इसका जिक्र है। इसका एक नाम रेवा भी है। माघ माह में शुक्ल पक्ष सप्तमी को नर्मदा जयन्ती मनायी जाती है।

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