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कान्हा तेरी मुरली की, जो धुन बज जाए (Kanha Teri Murli Ki Jo Dhun Baj Jaaye)

कान्हा तेरी मुरली की,

जो धुन बज जाए,

ग्वाले नाचे गोपियाँ,

नाचे सारी टोलियाँ,

राधा नाचे झूम झूम,

कान्हा तेरीं मुरली की,

जो धुन बज जाए ॥


कुंज गली में जैसे,

बाजे बासुरिया,

दीवानी तैसे हुई,

ब्रज की नगरिया,

खींची चली जाए गोपी,

बन के बावरिया,

इत उत भागे बेसूध,

सारी गुजरिया,

कैसा जादूगर तू,

सांवला कन्हैया,

कान्हा तेरीं मुरली की,

जो धुन बज जाए ॥


मतवाली हो गई,

धुन सुन गैया,

बछड़ो को छोड़ भागी,

देखो सारी गैया,

जहाँ है कन्हैया,

वही सारी गैया,

थन से दूध,

बहाने लगी गैया,

यमुना नदी तो लागे,

दूध की नदियां,

कान्हा तेरीं मुरली की,

जो धुन बज जाए ॥


ममता की मारी देखो,

यशोमति मैया,

धुन सुन बंसी की,

व्याकुल हुई मैया,

माखन निकाले झट,

दही मथे मैया,

बेसुध बोले माखन,

खा ले रे कन्हैया,

कैसी तेरी लीला है,

जग के रचैया,

कान्हा तेरीं मुरली की,

जो धुन बज जाए ॥


कान्हा तेरी मुरली की,

जो धुन बज जाए,

ग्वाले नाचे गोपियाँ,

नाचे सारी टोलियाँ,

राधा नाचे झूम झूम,

कान्हा तेरीं मुरली की,

जो धुन बज जाए ॥

भीष्म द्वादशी पौराणिक कथा

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आरती भगवान गिरिधारी जी की ( Aarti Bhagwan Giridhari Ji Ki)

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