नवीनतम लेख

सखी री दो कुंवर सुंदर, मनोहर आज आये है (Sakhi Ri Do Kunwar Sundar Manohar Aaj Aaye Hain)

सखी री दो कुंवर सुंदर,

मनोहर आज आये है,

चले दो लाल सजधज कर,

ना जाने किसके जाये है,

सखी री दो कुँवर सुंदर,

मनोहर आज आये है ॥


बड़े को राम कहते है,

लखन है नाम छोटे का,

अयोध्या धाम है इनका,

कौशल्या दशरथ के जाए है,

सखी री दो कुँवर सुंदर,

मनोहर आज आये है ॥


धनुष कर में लिए है वे,

गले में पुष्प माला है,

पड़े है कान में कुण्डल,

मुकुट सिर पर लगाए है,

सखी री दो कुँवर सुंदर,

मनोहर आज आये है ॥


सुनैना मैया ने देखा,

जनक राजा से ये पूछा,

धनुष को तोड़कर मेरी,

सिया को ब्याहने आए है,

सखी री दो कुँवर सुंदर,

मनोहर आज आये है ॥


बधैया बाज रही मिथिला,

अयोध्या आनंद छायो है,

हमारे जानकी रघुवर,

की जोड़ी मन को भायी है,

सखी री दो कुँवर सुंदर,

मनोहर आज आये है ॥


सखी री दो कुंवर सुंदर,

मनोहर आज आये है,

चले दो लाल सजधज कर,

ना जाने किसके जाये है,

सखी री दो कुँवर सुंदर,

मनोहर आज आये है ॥

कृष्ण जन्माष्टमी पूजा विधि

सनातन धर्म में भाद्रपद माह को सभी माह में विशेष माना जाता है। इस माह को भगवान कृष्ण के जन्म से जोड़ा गया है। पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर कन्हैया का जन्मोत्सव मनाया जाता है।

विनायक चतुर्थी चालीसा

विनायक चतुर्थी के दिन भगवान गणेश और शिव परिवार की पूजा-अर्चना करने का विधान है। धार्मिक मान्यता है कि गणपति बप्पा की पूजा करने से सभी तरह के विघ्न दूर होते हैं। इसलिए भगवान गणेश को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है।

7 अक्टूबर को पड़ रही है उपांग ललिता पंचमी 2024, कौन से हैं पूजा के शुभ मूहूर्त, क्या पूजा विधि और व्रत के लाभ

उपांग ललिता पंचमी एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जो पंचांग के अनुसार आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है।

बुहा खोल के माये, जरा तक ते ले (Buha Khol Ke Maaye Zara Tak Te Le)

बुहा खोल के माये,
जरा तक ते ले,