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हे आनंदघन मंगलभवन, नाथ अमंगलहारी (Hey Anand Ghan Mangal Bhawa)

हे आनंदघन मंगलभवन,

नाथ अमंगलहारी,

हम आए शरण तुम्हारी,

रघुवर कृपाल प्रभु प्रनतपाल,

अब राखो लाज हमारी,

हम आए शरण तुम्हारी,

हे आनंद घन मंगल भवन,

नाथ अमंगलहारी,

हम आए शरण तुम्हारी ॥


तुम जैसा नहीं पतित उदाहरण,

पतित नहीं हम जैसा,

बिन कारण जो द्रवे दीन पर,

देव ना दूजा ऐसा,

हम है दीन तुम दीनबंधु,

तुम दाता हम है भिखारी,

श्री राम जय जय राम,

श्री राम जय जय राम,

हे आनंद घन मंगल भवन,

नाथ अमंगलहारी,

हम आए शरण तुम्हारी ॥


दो अक्षर का नाम है,

राम तुम्हारा नाम,

दो अक्षर का भाव ले,

तुमको करे प्रणाम ॥


यही सोचकर अंतर्मन पर,

लिख लिया नाम तुम्हारा,

राम लिखा जिन पाषाणों पर,

उनको तुमने तारा,

राम से राम का नाम बड़ा है,

नाम की महिमा भारी,

श्री राम जय जय राम,

श्री राम जय जय राम,

हे आनंद घन मंगल भवन,

नाथ अमंगलहारी,

हम आए शरण तुम्हारी ॥


हे आनंदघन मंगलभवन,

नाथ अमंगलहारी,

हम आए शरण तुम्हारी,

रघुवर कृपाल प्रभु प्रनतपाल,

अब राखो लाज हमारी,

हम आए शरण तुम्हारी,

हे आनंद घन मंगल भवन,

नाथ अमंगलहारी,

हम आए शरण तुम्हारी ॥

अपने दरबार में तू बुलालें (Apne Darbar Mein Tu Bula Le)

महाकाल बाबा उज्जैन वाले,
जीवन मेरा तेरे हवाले,

कब है रुक्मिणी अष्टमी?

हिंदू धर्म में पौष मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रुक्मिणी अष्टमी के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व भगवान श्री कृष्ण की पत्नी देवी रुक्मिणी को समर्पित है, जिन्हें माता लक्ष्मी का अवतार माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, रुक्मिणी अष्टमी पर ही द्वापर युग में विदर्भ के महाराज भीष्मक के यहां देवी रुक्मिणी जन्मी थीं।

विष्णु जी की पूजा विधि

सनातन धर्म में सप्ताह के हर दिन को किसी न किसी देवता को समर्पित माना गया है। गुरुवार भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का दिन है।

महाशिवरात्रि व्रत कथा प्रारम्भ | क्या शिवरात्रि पर व्रत करने से मुक्ति संभव

भगवान शिव की महिमा सुनकर एक बार ऋषियों ने सूत जी से कहा- हे सूत जी आपकी अमृतमयी वाणी और आशुतोष भगवान शिव की महिमा सुनकर तो हम परम आनन्दित हुए।