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परमात्मा है प्यारे, तेरी आत्मा के अन्दर ।
परिश्रम करे कोई कितना भी लेकिन, कृपा के बिना काम चलता नहीं है ।
परदे में बैठे-बैठे, यूँ ना मुस्कुराइये,
प्रभु के चरणों से गर सच्चा प्यार किसी को हो जाये, दो चार सहर की बात ही क्या संसार उसी का हो जाये ॥
परदेस जा रहे हो, कैसे जियेंगे हम,
पकड़ लो बाँह रघुराई, नहीं तो डूब जाएँगे ।
पकड़ लो हाथ बनवारी, नहीं तो डूब जाएंगे,
पहिले पहिल हम कईनी, छठी मईया व्रत तोहार ।
रंग बरसे देखो रंग बरसे, रंग बरसे देखो रंग बरसे,
शेरावाली के दरबार में, होती है सुनवाई,