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सर पे चुनरिया लाल, और हाथों में मेहंदी रचाई है,
सर को झुकालो, शेरावाली को मानलो,
सपने में सखी देख्यो नन्दगोपाल, सावली सूरतिया हाथो मे बाँसुरिया,
साँवरियो है सेठ, म्हारी राधा जी सेठाणी है,
पूरन ब्रह्म पूरन ज्ञान है घाट माई, सो आयो रहा आनन्द
साँवरे सा कौन, सांवरे सा कौन,
कर्ता करे ना कर सके, पर गुरु किए सब होये ।
सांवरा जब मेरे साथ है, हमको डरने की क्या बात है ।
सांवली सूरत पे मोहन, दिल दीवाना हो गया ।
साँसों की माला पे सिमरूं मैं, पी का नाम, अपने मन की मैं जानूँ, और पी के मन की राम,