नवीनतम लेख

सपने में सखी देख्यो नंदगोपाल(Sapane Me Sakhi Dekhyo Nandgopal)

सपने में सखी देख्यो नन्दगोपाल,

सावली सूरतिया हाथो मे बाँसुरिया,

और घुँघराले बाल,

​सपने मे सखी देख्यो नन्दगोपाल ॥


व्रंदावन री कुंज गलियन मे,

भागतो दौड़तो देख्यो,

देख्यो री सखी भागतो दौड़तो देख्यो,

जंगल बिच मे गाय चरावतो,

बाध्यो कालो शाल,

​सपने मे सखी देख्यो नन्दगोपाल ॥


सपने में सखी देख्यो नन्दगोपाल,

सावली सूरतिया हाथो मे बाँसुरिया,

और घुँघराले बाल,

​सपने मे सखी देख्यो नन्दगोपाल ॥


लुकतो-छुपतो पनघट ऊपर,

सबकी मटकिया फोड़े,

फोड़े रे सखी सबकी मटकिया फोड़े,

घ- घर जावतो माखन चुरावतो,

प्यारो यशोदा रो लाल,

​सपने मे सखी देख्यो नन्दगोपाल ॥


सपने में सखी देख्यो नन्दगोपाल,

सावली सूरतिया हाथो मे बाँसुरिया,

और घुँघराले बाल,

​सपने मे सखी देख्यो नन्दगोपाल ॥


म्हारे सागे नटखट कन्हैया,

लुक मिचणी खेले सखी री,

वो तो लुक मिचणी खेले,

जद मने पकडयो कृष्ण कन्हाई,

मै तो हो गई न्याल,

​सपने मे सखी देख्यो नन्दगोपाल ॥


सपने में सखी देख्यो नन्दगोपाल,

सावली सूरतिया हाथो मे बाँसुरिया,

और घुँघराले बाल,

​सपने मे सखी देख्यो नन्दगोपाल ॥

नरसिंह द्वादशी व्रत विधि

नरसिंह द्वादशी सनातनियों का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो भगवान विष्णु के अवतार नरसिंह को समर्पित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, अपने प्रिय भक्त प्रहलाद की रक्षा करने के लिए भगवान विष्णु ने रौद्र रूप में अवतार लिया था, जिन्हें लोग आज नरसिंह भगवान के रूप में पूजते हैं।

आज है जगराता माई का, माँ को मना लेना (Aaj Hai Jagrata Mai Ka Maa Ko Mana Lena)

आज है जगराता माई का,
माँ को मना लेना,

भाव सुमन लेकर मैं बैठा, गौरी सुत स्वीकार करो (Bhav Suman Lekar Main Baitha Gaurisut Swikar Karo)

भाव सुमन लेकर मैं बैठा,
गौरी सुत स्वीकार करो,

नरसिंह द्वादशी क्यों मनाई जाती है

फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि के दिन नरसिंह द्वादशी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन विष्णु जी के अवतार भगवान नरसिंह की पूजा की परंपरा है।

यह भी जाने