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निर्धन कहे धनवान सुखी (Nirdhan Kahe Dhanwan Sukhi)

दीन कहे धनवान सुखी

धनवान कहे सुख राजा को भारी ।


राजा कहे महाराजा सुखी

महाराजा कहे सुख इंद्र को भारी ।


इंद्र कहे चतुरानन को सुख

ब्रह्मा कहे सुख विष्णु को भारी ।


तुलसीदास विचार कहे

हरि भजन विना सब जीव दुखारी ।


निर्धन कहे धनवान सुखी

धनवान कहे सुख राजा को भारी ।


राजा कहे चक्रवर्ती सुखी

चक्रवर्ती कहे सुख इन्द्र को भारी ।


इन्द्र कहे श्री राम सुखी

श्री राम कहे सुख संत को भारी ।


संत कहे संतोष में सुख है

बिनु संतोष सब दुनिया दुःखारी ।

झूले पलना में कृष्ण कन्हैया(Jhule Palna Mein Krishna Kanhaiya)

झूले पलना में कृष्ण कन्हैया,
बधाई बाजे गोकुल में,

मैं तो आरती उतारूँ रे संतोषी माता की - माँ संतोषी भजन (Main Toh Aarti Utaru Re Santoshi Mata Ki)

मैं तो आरती उतारूँ रे संतोषी माता की ।
मैं तो आरती उतारूँ रे संतोषी माता की ।

होलाष्टक के यम-नियम क्या हैं

हिंदू पंचांग के अनुसार होलाष्टक होली से पहले आठ दिनों की एक विशेष अवधि है, जो फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से होलिका दहन तक चलती है। इस अवधि के दौरान कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित होता है।

कान छेदने के मुहूर्त

हिंदू धर्म में मानव जीवन में कुल 16 संस्कारों का बहुत अधिक महत्व है इन संस्कारों में नौवां संस्कार कर्णवेध या कान छेदने का संस्कार।