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साँसों की माला पे सिमरूं मैं, पी का नाम(Sanso Ki Mala Pe Simru Main Pee Ka Naam)

साँसों की माला पे सिमरूं मैं, पी का नाम,

अपने मन की मैं जानूँ, और पी के मन की राम,

साँसों की माला पे सिमरूं मैं पी का नाम,

अपने मन की मैं जानूँ और पी के मन की राम,

साँसों की माला पे, सिमरूं मैं पी का नाम,

साँसों की माला पे, सिमरूं मैं पी का नाम ॥


जीवन का श्रृंगार है प्रीतम, माँग का सिन्दूर,

माँग का सिन्दूर,

जीवन का श्रृंगार है प्रीतम, माँग का सिन्दूर,

प्रीतम की नज़रों से गिरकर, जीना है किस काम,

प्रीतम की नज़रों से गिरकर, जीना है किस काम,

साँसों की, साँसों की,

साँसों की माला पे सिमरूं मैं पी का नाम,

साँसों की माला पे, सिमरूं मैं पी का नाम ॥


प्रेम के रंग में ऐसी डूबी, बन गया एक ही रूप,

बन गया एक ही रूप,

प्रेम के रंग में ऐसी डूबी, बन गया एक ही रूप,

प्रेम की माला जपते जपते, आप बनी मैं श्याम,

प्रेम की माला जपते जपते, आप बनी मैं श्याम,

साँसों की, साँसों की,

साँसों की माला पे सिमरूं मैं पी का नाम,

साँसों की माला पे, सिमरूं मैं पी का नाम ॥


प्रीतम का कुछ दोष नहीं है वो तो है निर्दोष,

वो तो है निर्दोष,

अपने आप से बातें कर के, हो गयी मैं बदनाम,

अपने आप से बातें कर के, हो गयी मैं बदनाम,

साँसों की, साँसों की,

साँसों की माला पे सिमरूं मैं पी का नाम,

साँसों की माला पे, सिमरूं मैं पी का नाम ॥


प्रेम पियाला जब से पिया है, जी का है ये हाल,

जी का है ये हाल,

प्रेम पियाला जब से पिया है, जी का है ये हाल,

अंगारों पे नींद आ जाए, काँटों पे आराम,

अंगारों पे नींद आ जाए, काँटों पे आराम,

साँसों की, साँसों की,

साँसों की माला पे सिमरूं मैं पी का नाम,

साँसों की माला पे, सिमरूं मैं पी का नाम ॥


अपने मन की मैं जानूँ, और पी के मन की राम,

साँसों की माला पे सिमरूं मैं पी का नाम,

अपने मन की मैं जानूँ और पी के मन की राम,

साँसों की माला पे, सिमरूं मैं पी का नाम,

साँसों की माला पे, सिमरूं मैं पी का नाम ॥

जय गणेश जय गजवदन, कृपा सिंधु भगवान (Jai Ganesh Jai Gajvadan Kripa Sindhu Bhagwan)

जय गणेश जय गजवदन,
कृपा सिंधु भगवान ।

घर पर कैसे करें पितरों की पूजा

आश्विन मास के कृष्ण पक्ष में मनाए जाने वाले श्राद्ध को पितृ पक्ष कहते हैं। इस दौरान पूर्वजों का श्राद्ध उनकी तिथि के अनुसार श्रद्धा भाव से विधि-विधानपूर्वक किया जाता है।

शिव शंकर तुम कैलाशपति (Shiv Shankar Tum Kailashpati)

शिव शंकर तुम कैलाशपति,
है शीश पे गंग विराज रही,

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