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हे शिव भोले मुझ पर, दो ऐसा रंग चढ़ाय(Hey Shiv Bhole mMujhpar Do Aisa Rang Chadaye)

हे शिव भोले मुझ पर,

दो ऐसा रंग चढ़ाय,

रोम रोम मेरा शिव बोले,

मन बोले नमः शिवाय ॥


हे शिव शंकर हे करुणाकर,

हे त्रिभुवन के स्वामी,

है रामेश्वर जय महाकाल,

श्री नागेस्वर अन्तर्यामी,

बैधनाथ है सोमनाथ,

तुम भोले दिगम्बराय,

रोम रोम मेरा शिव बोले,

मन बोले नमः शिवाय ॥


मन मेरा शिवाला हो,

और दिल में हो तेरी मूरत,

जब जब भी आंखे खोलू,

मेरे सामने तेरी हो सूरत,

अब रहे न तुमसे दूरी,

कर दो ऐसा उपाय,

रोम रोम मेरा शिव बोले,

मन बोले नमः शिवाय ॥


स्वार्थ भरी दुनिया में भोले,

एक आसरा तेरा,

पक्का है विश्वास मुझे,

तू भर देगा दामन मेरा,

‘दिलबर’ दिल से दिल का,

ये तार जुड़ जाय,

रोम रोम मेरा शिव बोले,

मन बोले नमः शिवाय ॥


हे शिव भोले मुझ पर,

दो ऐसा रंग चढ़ाय,

रोम रोम मेरा शिव बोले,

मन बोले नमः शिवाय ॥

ऋषि पंचमी व्रत कथा (Rishi Panchami Vrat Katha)

श्री ऋषिपंचमी व्रत कथा (भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को किया जाने वाला व्रत) राजा सुताश्व ने कहा कि हे पितामह मुझे ऐसा व्रत बताइये जिससे समस्त पापों का नाश हो जाये।

मैं तो झूम झूम नाचू रे आज, आज मैया घर आयी है (Main To Jhoom Jhoom Nachu Re Aaj Maiya Ghar Aayi Hai)

मैं तो झूम झूम नाचूं रे आज,
आज मैया घर आयी है,

ऐसो रास रच्यो वृन्दावन (Aiso Ras Racho Vrindavan)

ऐसो रास रच्यो वृन्दावन,
है रही पायल की झंकार ॥

ब्रज की होली

होली भारत में रंगों का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है, लेकिन जब ब्रज की होली की बात आती है, तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। मथुरा, वृंदावन, नंदगांव और बरसाना में यह पर्व अनोखे अंदाज में मनाया जाता है। श्रीकृष्ण और राधा की प्रेम लीलाओं से जुड़े इस उत्सव में भक्ति, संगीत, नृत्य और उल्लास का अद्भुत मेल देखने को मिलता है।

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