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हे पुरुषोत्तम श्रीराम, करूणानिधान भगवान (Hai Purushottam Shri Ram Karuna Nidhan Bhagwan)

हे पुरुषोत्तम श्रीराम,

करूणानिधान भगवान ॥


दोहा – राम नगरीया राम की,

और बसे गंग के तीर,

अटल राज महाराज को,

चौकी हनुमत वीर।

चित्रकूट के घाट पर,

भई संतन की भीड़,

तुलसीदास चन्दन घिसे,

तिलक करे रघुवीर ॥


हे पुरुषोत्तम श्रीराम,

करूणानिधान भगवान,

तुम्हे कोटि कोटि प्रणाम,

तुम्हे कोटि कोटि प्रणाम ॥


जानकीनाथ लखन के भैया,

केवटिया तुम पार लगइया,

केवट की तुम तारी नैया,

तारो प्रभुजी मेरी नैया,

दशरथ नंदन राम,

दशरथ नंदन राम,

करूणानिधान भगवान,

तुम्हे कोटि कोटि प्रणाम,

तुम्हे कोटि कोटि प्रणाम ॥


पिता वचन वनवास सिधारे,

गिद्धराज निज धाम पधारे,

जनकराज संताप मिटाए,

चारों भैया ब्याह के आए,

जानकी वल्लभ राम,

जानकी वल्लभ राम,

करूणानिधान भगवान,

तुम्हे कोटि कोटि प्रणाम,

तुम्हे कोटि कोटि प्रणाम ॥


जब सुग्रीव शरण में आया,

अभयदान रघुवर से पाया,

तुलसी के प्रिय राम,

तुलसी के प्रिय राम,

करूणानिधान भगवान,

तुम्हे कोटि कोटि प्रणाम,

तुम्हे कोटि कोटि प्रणाम ॥


हे पुरुषोत्तम श्री राम,

करूणानिधान भगवान,

तुम्हे कोटि कोटि प्रणाम,

तुम्हे कोटि कोटि प्रणाम ॥

मुकुन्द माधव गोविन्द बोल (Mukund Madhav Govind Bol)

मुकुट सिर मोर का,
मेरे चित चोर का ।

खाटू वाले श्याम धणी को, हैलो आयो है(Khatu Wale Shyam Dhani Ko Helo Aayo Hai)

खाटू चालों खाटू चालों,
खाटू वाले श्याम धणी को,

शिव की जटा से बरसे, गंगा की धार है (Shiv Ki Jata Se Barse Ganga Ki Dhar Hai)

शिव की जटा से बरसे,
गंगा की धार है,

क्या है वैदिक मंत्र पढ़ने के नियम?

धार्मिक शास्त्रों में वैदिक मंत्र जाप को अत्यधिक महत्वपूर्ण बताया गया है। आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी वैदिक मंत्र जाप के कई लाभ हैं।