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सर को झुकालो, शेरावाली को मानलो(Sar Ko Jhukalo Sherawali Ko Manalo)

सर को झुकालो,

शेरावाली को मानलो,

चलो दर्शन पालो चल के ।

करती मेहरबानीयाँ,

करती मेहरबानियां ॥


गुफा के अन्दर,

मन्दिर के अन्दर,

माँ की ज्योतां है नुरानियाँ ॥


सर को झुकालो,

शेरावाली को मानलो,

चलो दर्शन पालो चल के ।

करती मेहरबानीयाँ,

करती मेहरबानियां ॥


मैया की लीला,

देखो पर्बत है नीला ।

गरजे शेर छबीला,

रंग जिसका है पीला ।

गरजे शेर छबीला,

रंग जिसका है पीला, रंगीला ।

कठिन चढाईयां,

माँ सीढ़ियाँ लाईआं,

यह है मैया की निशानियां ॥


सर को झुकालो,

शेरावाली को मानलो,

चलो दर्शन पालो चल के ।

करती मेहरबानीयाँ,

करती मेहरबानियां ॥


कष्टों को हरती,

मैया मंगल है करती ।

मैया शेरों वाली का,

दुनिया पानी है भरती ।

मैया शेरों वाली का,

दुनिया पानी है भरती, दुःख हरती ।

अजब नज़ारे,

माते के द्वारे,

और रुत्ता मस्तानीय ॥


सर को झुकालो,

शेरावाली को मानलो,

चलो दर्शन पालो चल के ।

करती मेहरबानीयाँ,

करती मेहरबानियां ॥


कोढ़ी को काया,

देवे निर्धन को माया ।

करती आचल की छाया,

भिखारी बन के जो आया ।

करती आचल की छाया,

भिखारी बन के जो आया ।

चला चल, माँ के द्वारे,

कटे संकट सारे,

मिट जाए परशानियाँ ॥


सर को झुकालो,

शेरावाली को मानलो,

चलो दर्शन पालो चल के ।

करती मेहरबानीयाँ,

करती मेहरबानियां ॥

गुफा के अन्दर,

मन्दिर के अन्दर,

माँ की ज्योतां है नुरानियाँ ॥

पौष पूर्णिमा 2025

सनातन धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा- अर्चना करने का विधान है। इस दिन से प्रयागराज में कल्पवास शुरू किया जाता है, इस दिन व्रत, स्नान दान करने से मां लक्ष्मी और विष्णु जी बेहद प्रसन्न होते हैं।

नौकरी प्राप्ति पूजा विधि

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12 ज्योतिर्लिंगों का महत्व जानिए

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कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रबोधिनी एकादशी (Kaartik Maas Ke Shukl Paksh Kee Prabodhinee Ekaadashee)

ब्रह्माजी ने कहा कि हे मनिश्रेष्ठ ! गंगाजी तभई तक पाप नाशिनी हैं जब तक प्रबोधिनी एकादशी नहीं आती। तीर्थ और देव स्थान भी तभी तक पुण्यस्थल कहे जाते हैं जब तक प्रबोधिनी का व्रत नहीं किया जाता।

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