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सर को झुकालो, शेरावाली को मानलो(Sar Ko Jhukalo Sherawali Ko Manalo)

सर को झुकालो,

शेरावाली को मानलो,

चलो दर्शन पालो चल के ।

करती मेहरबानीयाँ,

करती मेहरबानियां ॥


गुफा के अन्दर,

मन्दिर के अन्दर,

माँ की ज्योतां है नुरानियाँ ॥


सर को झुकालो,

शेरावाली को मानलो,

चलो दर्शन पालो चल के ।

करती मेहरबानीयाँ,

करती मेहरबानियां ॥


मैया की लीला,

देखो पर्बत है नीला ।

गरजे शेर छबीला,

रंग जिसका है पीला ।

गरजे शेर छबीला,

रंग जिसका है पीला, रंगीला ।

कठिन चढाईयां,

माँ सीढ़ियाँ लाईआं,

यह है मैया की निशानियां ॥


सर को झुकालो,

शेरावाली को मानलो,

चलो दर्शन पालो चल के ।

करती मेहरबानीयाँ,

करती मेहरबानियां ॥


कष्टों को हरती,

मैया मंगल है करती ।

मैया शेरों वाली का,

दुनिया पानी है भरती ।

मैया शेरों वाली का,

दुनिया पानी है भरती, दुःख हरती ।

अजब नज़ारे,

माते के द्वारे,

और रुत्ता मस्तानीय ॥


सर को झुकालो,

शेरावाली को मानलो,

चलो दर्शन पालो चल के ।

करती मेहरबानीयाँ,

करती मेहरबानियां ॥


कोढ़ी को काया,

देवे निर्धन को माया ।

करती आचल की छाया,

भिखारी बन के जो आया ।

करती आचल की छाया,

भिखारी बन के जो आया ।

चला चल, माँ के द्वारे,

कटे संकट सारे,

मिट जाए परशानियाँ ॥


सर को झुकालो,

शेरावाली को मानलो,

चलो दर्शन पालो चल के ।

करती मेहरबानीयाँ,

करती मेहरबानियां ॥

गुफा के अन्दर,

मन्दिर के अन्दर,

माँ की ज्योतां है नुरानियाँ ॥

मेरा भोला हे भंडारी, जटाधारी अमली (Mera Bhola Hai Bhandari Jatadhari Amali)

मेरा शिव भोला भंडारी,
जटाधारी अमली,

दर्श करा दे मेरे सांवरे, म्हारे नैना हुए बावरे (Darsh Kara De Mere Sanware Mhare Naina Huye Baware)

दर्श करा दे मेरे सांवरे,
म्हारे नैना हुए बावरे,

क्यों मनाई जाती है गीता जयंती?

सनातन धर्म में एकादशी व्रत को अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। मार्गशीर्ष माह में मोक्षदा एकादशी मनाई जाती है। इसी दिन गीता जयंती का पर्व भी मनाया जाता है।

नमो नमो शिवाय(Namo Namo Shivaay)

नमो नमो जय, नमो शिवाय
नमो नमो जय, नमो शिवाय

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