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ओढ़ो ओढ़ो म्हारी माता रानी आज भगत थारी चुनड़ ल्याया ए
ओढ़ के चुनरिया लाल, मैया जी मेरे घर आना,
राधे राधे जपा करो, कृष्ण नाम रस पिया करो,
राधे पूछ रही तुलसा से, तुलसा कहाँ तेरा ससुराल ।
राधे कृष्ण की ज्योति अलोकिक, तीनों लोक में छाये रही है ।
ओढ़ चुनरियाँ मैया लाल चली, सिंघ सवारी पे है लगती भली ॥
राधे झूलन पधारो झुकी आए बदरा, झुक आये बदरा झुकी आये बदरा,
राधे ब्रज जन मन सुखकारी, राधे श्याम श्यामा श्याम
ओ शेरावाली माँ, क्या खेल रचाया है,
ओ शंकरा मेरे शिव शंकरा, बालक मैं तू पिता है,