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राधे झूलन पधारो झुकी आए बदरा(Radhe Jhulan Padharo Jhuk Aaye Badra)

राधे झूलन पधारो झुकी आए बदरा,

झुक आये बदरा झुकी आये बदरा,

राधे झूलन पधारो झुकी आये बदरा,

झुक आये बदरा झुकी आये बदरा,

साजो सकल श्रृंगार नैना सारो कजरा ॥


ऐसो मान ना कीजे हठ तजिए अली,

ऐसो मान ना कीजे हठ तजिए अली,

राधे झूलन पधारो झुकी आये बदरा,

झुक आये बदरा झुकी आये बदरा ॥


तू तो परम सयानी हो वृषभान की लली,

तू तो परम सयानी हो वृषभान की लली,

राधे झूलन पधारो झुकी आये बदरा,

झुक आये बदरा झुकी आये बदरा ॥


तेरो रसिक प्रीतम मग जोवत खड़ो,

तेरो रसिक प्रीतम मग जोवत खड़ो,

राधे झूलन पधारो झुकी आये बदरा,

झुक आये बदरा झुकी आये बदरा ॥


राधे दोऊ कर जोड़े तेरे चरण पड्यो,

राधे दोऊ कर जोड़े तेरे चरण पड्यो,

राधे झूलन पधारो झुकी आये बदरा,

झुक आये बदरा झुकी आये बदरा ॥


राधे झूलन पधारो झुकी आए बदरा,

झुक आये बदरा झुकी आये बदरा,

प्यारी झूलन पधारो झुकी आये बदरा,

झुक आये बदरा झुकी आये बदरा,

साजो सकल श्रृंगार नैना सारो कजरा ॥


मत्स्य जयंती कब मनाई जाएगी

मत्स्य जयंती भगवान विष्णु के पहले अवतार, “मत्स्यावतार” अर्थात् मछली अवतार की विशेष पूजा के रूप में मनाई जाती है।

प्रदोष व्रत पर क्या करें या न करें

प्रदोष व्रत हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है, जिसे विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा के लिए किया जाता है। यह व्रत प्रत्येक महीने में दो बार, त्रयोदशी तिथि को (स्नान, दिन और रात के समय के अनुसार) किया जाता है, एक बार शुक्ल पक्ष में और दूसरी बार कृष्ण पक्ष में।

अनंग त्रयोदशी व्रत कथा

चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को अनंग त्रयोदशी कहा जाता है। अनंग त्रयोदशी व्रत प्रेम और सौंदर्य का प्रतीक माना जाता है।

मेरे राम की सवारी (Mere Ram Ki Sawari)

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मेरे राम की सवारी हो

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