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रंग बरसे लाल गुलाल, हो गुलाल(Rang Barse Laal Gulal Ho Gulal)

रंग बरसे लाल गुलाल,

हो गुलाल,

वृषभानलली के मन्दिर में,

सब हो गए लालों लाल, राधा रानी के मन्दिर में ॥


भीगे चुनरी चोली दामन,

मुख हो गए लाल गुलाल,

हो गुलाल,

वृषभानलली ॥


सुन सुन कर साजों की सरगम,

सब नाचें बजाकर ताल,

हो ताल,

वृषभानलली ॥


राधा रूप छटा मन मोहिनी,

कर दरस हो मनवा निहाल,

निहाल,

वृषभानलली ॥


मन ‘मधुप’ डूबा रंग रस में,

सब बोलें जय जयकार,

जयकार,

वृषभानलली ॥

वृन्दावन के ओ बांके बिहारी (Vrindavan Ke O Banke Bihari )

वृन्दावन के ओ बांके बिहारी,
हमसे पर्दा करो ना मुरारी ॥

करवा चौथ व्रत कथा (Karwa Chauth Vrat Katha)

करवा चौथ की सबसे प्रसिद्ध कहानी के अनुसार देवी करवा अपने पति के साथ तुंगभद्रा नदी के पास रहा करती थीं। एक दिन करवा के पति नदी में स्नान करने गए तो एक मगरमच्छ ने उनका पैर पकड़ लिया और उन्हें जल में खिंचने लगा

दिवाली से पहले हनुमान पूजा

हनुमान पूजा या जयंती को लेकर लोगों के मन में हमेशा संशय रहता है, क्योंकि साल में दो बार हनुमान जयंती मनाई जाती है।

हार के आया मैं जग सारा (Haare Ka Sahara Mera Shyam)

हार के आया मैं जग सारा,
तेरी चौखट पर,

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