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मोको कहां ढूंढे रे बंदे(Moko Kahan Dhunde Re Bande)

मोको कहां ढूंढे रे बंदे,

मैं तो तेरे पास में ।

मोको कहां ढूंढे रे बंदे,

मैं तो तेरे पास में ।

ना तीरथ में ना मूरत में,

ना एकांत निवास में ।

ना मंदिर में, ना मस्जिद में,

ना काबे कैलाश में ।

मैं तो तेरे पास में ।


ना मैं जप में, ना मैं तप में,

ना मैं व्रत उपवास में ।

ना मैं क्रिया क्रम में रहता,

ना ही योग संन्यास में ।

मैं तो तेरे पास में ।


नहीं प्राण में नहीं पिंड में,

ना ब्रह्माण्ड आकाश में ।

ना मैं त्रिकुटी भवर में,

सब स्वांसो के स्वास में ।

मैं तो तेरे पास में ।


खोजी होए तुरंत मिल जाऊं,

एक पल की ही तलाश में ।

कहे कबीर सुनो भाई साधो,

मैं तो हूँ विश्वास में ।

मैं तो तेरे पास में ।


मोको कहां ढूंढे रे बंदे,

मैं तो तेरे पास में ।

क्यों मनाई जाती है गोपाष्टमी, जानिए पूजा विधि

गोपाष्टमी एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जो भगवान कृष्ण के गौ-पालन और लीलाओं की याद दिलाता हैं। गोपाष्टमी दो शब्दों से मिलकर बना है, जिसमें गोप का अर्थ है "गायों का पालन करने वाला" या "गोपाल" और अष्टमी का अर्थ हैं अष्टमी तिथि या आठवां दिन।

त्रिपुर भैरवी जयंती पर कौन सा पाठ करें?

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भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी के उपाय

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है पावन शिव का धाम हरिद्वार (Hai Pawan Shiv Ka Dham Haridwar)

कल कल कल जहाँ निर्मल बहती,
माँ गंगा की धार,

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