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तोरा मन दर्पण कहलाए - भजन (Tora Man Darpan Kahlaye)

​तोरा मन दर्पण कहलाए,

भले, बुरे, सारे कर्मों को,

देखे और दिखाए ॥


मन ही देवता,

मन ही ईश्वर,

मन से बड़ा ना कोई,

मन उजियारा,

जब जब फैले,

जग उजियारा होए,

इस उजले दर्पन पर प्राणी,

धूल ना ज़मने पाए ॥


​तोरा मन दर्पण कहलाये,

भले, बुरे, सारे कर्मों को,

देखे और दिखाए ॥


सुख की कलियाँ,

दुःख के काँटे,

मन सब का आधार,

मन से कोई बात छूपे ना,

मन के नैन हजार,

जग से चाहे भाग ले कोई,

मन से भाग ना पाए ॥


​तोरा मन दर्पण कहलाये,

भले, बुरे, सारे कर्मों को,

देखे और दिखाए ॥


तन की दौलत ढ़लती छाया,

मन का धन अनमोल,

तन के कारन मन के,

धन को मत माटी में रोल,

मन की कदर भूलानेवाला,

हीरा जनम गंवाए ॥


​तोरा मन दर्पण कहलाये,

भले, बुरे, सारे कर्मों को,

देखे और दिखाए ॥


​तोरा मन दर्पण कहलाए,

भले, बुरे, सारे कर्मों को,

देखे और दिखाए ॥

आयो फागण को त्यौहार (Aayo Fagan Ko Tyohar)

आयो फागण को त्यौहार,
नाचे ठुमक ठुमक दातार,

भीष्म अष्टमी कब है, शुभ मुहूर्त एवं योग

माघ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को भीष्म अष्टमी मनाई जाती है। कहा जाता है कि इसी दिन बाणों की शय्या पर लेटे भीष्म पितामह ने अपने प्राण त्याग किए थे। इसलिए सनातन धर्म में यह तिथि अत्यंत शुभ मानी गई है।

बाबा का दरबार सुहाना लगता है (Baba Ka Darbar Suhana Lagta Hai)

बाबा का दरबार सुहाना लगता है,
भक्तों का तो दिल दीवाना लगता है ॥

हरियाली तीज (Hariyali Teej)

हरियाली तीज, जिसे श्रावण तीज के नाम से भी जाना जाता है, एक पारंपरिक हिंदू त्योहार है जो भारत और नेपाल में मनाया जाता है। हरियाली तीज का अर्थ है "हरियाली की तीज" या "हरित तीज"। यह नाम इसलिए पड़ा है क्योंकि यह त्योहार मानसून के मौसम में मनाया जाता है, जब प्रकृति में हरियाली का प्रवेश होता है। यह पर्व श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है, जो आमतौर पर जुलाई या अगस्त में पड़ती है। इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा का विधान है।