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तू शब्दों का दास रे जोगी - भजन (Tu Sabdon Ka Das Re Jogi)

॥ दोहा ॥

सबदा मारा मर गया,

सबदा छोडियो राज ।

जिन जिन सबद विचारिया,

वा रा सरिया काज ।


॥ तू शब्दों का दास रे जोगी ॥

तू शबदों का दास रे जोगी,

तेरा क्या विश्वास रे जोगी ।

तू शब्दों का दास रे जोगी ।


राम नहीं तू बन पायेगा,

क्यूं लेता वनवास रे जोगी ॥


तू शबदों का दास रे जोगी,

तेरा क्या विश्वास रे जोगी ।

तू शब्दों का दास रे जोगी ।


ये सांसों का बन्दी जीवन,

इसको आया रास रे जोगी ॥


तू शबदों का दास रे जोगी,

तेरा क्या विश्वास रे जोगी ।

तू शब्दों का दास रे जोगी ।


देखना इतना ऊपर जाओ,

ऊँचा है आकाश रे जोगी ।


तू शबदों का दास रे जोगी,

तेरा क्या विश्वास रे जोगी ।

तू शब्दों का दास रे जोगी ।


एक दिन विष का प्याला पीजा,

फिर ना लगेगी प्यास रे जोगी ।


तू शबदों का दास रे जोगी,

तेरा क्या विश्वास रे जोगी ।

तू शब्दों का दास रे जोगी ।


भर आई थी मन कीआँखें,

बह रही हर एक आस रे जोगी ॥


तू शबदों का दास रे जोगी,

तेरा क्या विश्वास रे जोगी ।

तू शब्दों का दास रे जोगी ।

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