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विरात्रा री पहाड़ियों में, धाम थारो - भजन (Viratra Ri Pahadiyon Me Dham Tharo)

विरात्रा री पहाड़ियों में,
धाम थारो म्हाने लागे न्यारो,
म्हाने प्यारो प्यारो लागे,
वाकल नाम थारो ॥

शक्ति रूप में हिंगलाज माँ,
हिरण भखार में आईं,
श्रद्धा भाव से राजा विक्रम ने,
प्रतिस्ठा माँ की कराई,
ऊंचे पर्वत पे बाणियो है,
थारो मंदिर न्यारो,
म्हाने लागे प्यारो,
सबसु प्यारो सबसु न्यारो,
धाम थारो,
विरात्रा री पहाड़ियो में ॥

लाल चुनरियाँ लाल है चूड़ो,
सज सोलह सिणगार,
रूप अनूप है माँ वाकल रो,
बैठया सिंह सवार,
लागे स्वर्गा सु सूंदर,
मैया धाम थारो,
म्हाने लागे प्यारो,
म्हारा हिवड़ा में बसियो,
वाकल नाम थारो,
विरात्रा री पहाड़ियो में ॥

सांचो है दरबार वाकल रो,
बिन मंगिया मिल जावे,
अन्न धन रो भंडार भरे,
बांझिया री गोद भरावे,
म्हाने आसरो है मैय्या जी,
बस एक थारो बस एक थारो,
किरपा री नजरिया वाकल,
म्हापे डारो,
विरात्रा री पहाड़ियो में ॥

विरात्रा री पहाड़ियों में,
धाम थारो म्हाने लागे न्यारो,
म्हाने प्यारो प्यारो लागे,
वाकल नाम थारो ॥
ऐसो चटक मटक सो ठाकुर (Aiso Chatak Matak So Thakur)

ऐसो चटक मटक सो ठाकुर
तीनों लोकन हूँ में नाय

क्या वो करेगा लेके चढ़ावा (Kya Wo Karega Leke Chadawa)

क्या वो करेगा लेके चढ़ावा,
सब कुछ त्याग के बैठा कहीं,

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