सोमवती अमावस्या 2024 पूजा विधि (Somvati Amavasya 2024 Puja Vidhi)

सोमवती अमावस्या की रात घर से क्यों नहीं निकलना चाहिए, जानिए क्या है दान पुण्य की विधि


वैसे तो हमारे शास्त्रों में सभी अमावस्याओं का महत्व बताया गया है लेकिन  सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या को कुछ खास महत्व दिया गया है। इस अमावस्या में भगवान शिव, भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इस अमावस्या को एक दिव्य अमावस्या माना जाता है और ये साल में लगभग एक या दो ही बार पड़ती है। इस बार यह अमावस्या 2 सितंबर को पड़ रही है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन पवित्र नदी में स्नान और दान करने का विशेष महत्व है। कुछ पौराणिक मान्याओं के अनुसार इस अमावस्या की रात को घर से न निकलने की हिदायत दी जाती है. ऐसा क्यों है आईए जानते हैं भक्तवत्सल के इस आर्टिकल में, साथ ही जानेंगे कि इस दिन किन चीजों का दान शुभ माना गया है, कौन सी राशि के लोगों को क्या दान करना चाहिए और इस अमावस्या की कथा क्या है….



सोमवती अमावस्या की कथा :


एक प्रचलित कथा के अनुसार,  एक ब्राह्मण अपनी बेटी की शादी को लेकर बहुत चिंतित रहता था। ब्राह्मण की लड़की बहुत सुंदर और सुशील थी लेकिन फिर भी उसकी शादी नहीं हो रही थी। एक दिन उस ब्राह्मण के घर एक साधू आए। साधू ने लड़की की सेवा देखकर उसे दीर्घायु का आशीर्वाद दिया। इसके बाद ब्राह्मण ने साधू को अपनी चिंता बताई और इसका उपाय बताने के लिए कहा। साधू ने लड़की का हाथ देखकर कहा कि इसकी कुंडली में शादी का योग नहीं है। ये बात सुनकर ब्राह्मण घबरा गया और इस दोष का उपाय पूछने लगा। ब्राह्मण की परेशानी सुनकर साधू ने सोच-विचार कर कहा कि दूर गाँव में एक सोना नाम की औरत है, वह धोबिन है और सच्ची पतिव्रता पत्नी है। अपनी बेटी को उसकी सेवा के लिए उसके पास भेज दो, जब वो औरत अपनी मांग का सिंदूर इस पर लगाएगी तो तुम्हारी बेटी का जीवन भी संवर जाएगा।


साधु की बात मानकर ब्राह्मण ने अगली ही सुबह अपनी बेटी को सोना धोबिन के यहाँ भेजा। धोबिन अपने बेटे-बहू के साथ रहती थी। ब्राह्मण की बेटी सुबह जल्दी धोबिन के घर जाती और चुपचाप वहां का काम कर बिना किसी को बताए वापस आ जाती। कुछ दिन तक यही क्रम चलता रहा। धोबिन को लगता कि उसकी बहू इतनी जल्दी काम कर वापस सो जाती है। एक दिन उसने बहू से पूछा तो बहू ने कहा कि मुझे लगता है कि ये सारा काम आप करती हो। धोबिन ने अगली सुबह  उठकर छिपकर देखा कि ये काम कौन करता है। जब काम के लिए वहां ब्राह्मण की बेटी आई तो धोबिन ने उसे पकड़ लिया। धोबिन के पूछने पर उसने अपनी सारी व्यथा सुना दी। धोबिन खुश हो गई और उसे अपनी मांग का सिंदूर ब्राह्मण की बेटी के सिर पर लगा दिया। लेकिन ऐसा करते ही धोबिन के पति की मृत्यु हो गई। जिस दिन ये सब हुआ उस दिन सोमवार था और अमावस्या का दिन था। धोबिन तुरंत दौड़ते-दौड़ते पीपल के पेड़ के पास गई। परिक्रमा करने के लिए उसके पास कोई समान नहीं था तो उसने ईंट के टुकड़ों से पीपल की 108 परिक्रमा की। ऐसा करते ही धोबिन का पति वापस जीवित हो गया। कुछ समय बाद ब्राह्मण की कन्या का भी अच्छी जगह विवाह हो जाता है और वह अपने पति के साथ सुखमय जीवन व्यतीत करने लगती है। 


सोमवती अमावस्या की ये कथा हर विवाहिता के जीवन में विशेष महत्व रखती है, इस दिन वे अपने पति की लम्बी आयु के लिए व्रत-पूजा सम्पन्न करने के बाद यह कथा सुनती हैं। कहा जाता है कि इस व्रत का करने और कथा सुनने से विवाहित महिलाओं के पति की उम्र में इजाफा होता है।



रात में क्यों न निकलें घर से बाहर: 

ध्यान देने वाली यह है कि जिस तरह यह दिन भगवान शिव की पूजा करने के लिए बहुत शुभ माना जाना जाता है। वहीँ रात के समय यह दिन बुरे साये से भरा होता है। सोमवती अमावस्या की काली रात में कुछ लोग तांत्रिक सिद्धियां अजमाते हैं और इस वक्त में नकारात्मक शक्तियां सक्रिय रहती हैं। इसी कारण हमारे धर्मग्रंथों में इस वक्त घर से बाहर जाने से मना किया जाता है।


सोमवती अमावस्या में इस दिन से होता है विशेष लाभ:


१) इस अमावस्या के दिन श्रद्धा अनुसार सफेद चावल, सफेद फूल, शक्कर और नारियल आदि चीजों का दान करना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति को भगवान शिव का आशीर्वाद मिलता है। 


२) इस दिन गरीब लोगों में अन्न, धन और वस्त्र का दान करना शुभ माना गया है। इससे साधक को सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है और बिगड़े काम पूरे हो जाते हैं।


३) इस दिन महादेव और भगवान विष्णु की पूजा करने के बाद काले तिल का दान जरूर करें। कहा जाता है कि दान करने से दानकर्ता को पितृ दोष और कुंडली के बुरे ग्रहों के असर से मुक्ति मिलती है।


४) सोमवती अमावस्या के दिन आप देवों को तृप्त करने के लिए वस्त्रों का दान कर सकते हैं। देवों को आप लाल, पीले, हरे, नीले आदि रंगों के वस्त्र दान कर सकते हैं। 



किस राशि को क्या दान करना चाहिए :


मेष राशि - गेहूं का दान 


वृषभ राशि-  सफेद वस्त्र का दान 


मिथुन राशि-  साबुत मूंग का दान 


कर्क राशि- चावल का दान 


सिंह राशि-  गेहूं और मूंग दाल का दान 


कन्या राशि- हरी सब्जी का दान


तुला राशि- चूड़ा और चीनी का दान 


वृश्चिक राशि- लाल रंग के वस्त्र का दान 


धनु राशि- जौ, पके केले, घी का दान 


मकर राशि- काले तिल का दान 


कुंभ राशि- चमड़े के जूते और चप्पल का दान


मीन राशि- पीले रंग के कपड़े का दान 



सोमवती अमावस्या के शुभ मुहूर्त:


पंचांग के अनुसार, सोमवती अमावस्या के दिन यानी 02 सितंबर को सुबह 05 बजकर 21 मिनट पर शुभ मुहूर्त शुरू होगा जो 03 सितंबर को सुबह 07 बजकर 24 मिनट तक रहेगा। 

........................................................................................................
आमलकी एकादशी पूजा विधि

फाल्गुन माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी पर आमलकी एकादशी का व्रत किया जाता है। इस तिथि पर भगवान विष्णु के साथ-साथ आंवले के पेड़ की पूजा का भी विशेष महत्व है।

ॐ महाकाल के काल तुम हो प्रभो - भजन (Om Mahakal Ke Kal Tum Ho Prabhu)

ॐ महाकाल के काल तुम हो प्रभो,
गुण के आगार सत्यम् शिवम् सुंदरम्,

तुम रूठे रहो मोहन (Tum Ruthe Raho Mohan)

तुम रूठे रहो मोहन,
हम तुम्हे मना लेंगे,

बिगड़ी मेरी बना जा, ओ शेरोवाली माँ (Bigdi Meri Bana Ja O Sheronwali Maa)

बिगड़ी मेरी बना जा,
ओ शेरोवाली माँ,

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।