सूर्यग्रहण में सूतक क्या होता है

Surya Grahan Sutak 2025: क्या होता है सूतक? मार्च में लगने वाले ग्रहण में क्या लगेगा सूतक काल, जानिए पूरी जानकारी


हर ग्रहण के दौरान एक सूतक काल होता है। जिसमें कोई शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। सूतक काल का खास महत्व होता है। यह धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जाता है। होली के दिन, 14 मार्च को साल का पहला चंद्र ग्रहण लगा था, लेकिन यह भारत में दिखाई नहीं दिया। इसलिए इसका सूतक काल भी नहीं माना गया। अब चंद्रग्रहण के बाद मार्च में ही सूर्यग्रहण लगने वाला है। इसे लेकर लोगों के मन में कई सवाल भी हैं। क्या इस बार सूतक काल होगा? इसका क्या असर पड़ेगा?। चलिए लेख के जरिए आपको सूर्यग्रहण के दौरान लगने वाले सूतक काल के बारे में थोड़ा और विस्तार से जानते हैं।


ग्रहण में क्या लगेगा सूतक काल?


जब भी चंद्र ग्रहण या सूर्यग्रहण होता है, तो उसके साथ सूतक काल भी शुरू हो जाता है। यह समय धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। सूर्यग्रहण के दौरान सूतक काल ग्रहण लगने से 12 घंटे पहले शुरू हो जाता है। इस समय को अशुभ माना जाता है, इसलिए इस दौरान कोई भी शुभ या मांगलिक कार्य नहीं किए जाते। मंदिरों के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं और पूजा-पाठ भी रोक दिया जाता है। हालांकि, ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस बार मार्च में लगने वाला सूर्यग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए इसका सूतक काल यहां मान्य नहीं होगा।


अब जानते हैं कि सूर्यग्रहण कैसे लगता है …


आखिर क्यों ढक जाता है सूर्य का तेज?


सूर्यग्रहण एक खास खगोलीय घटना होती है, जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच आ जाता है और कुछ समय के लिए सूर्य की रोशनी को ढक लेता है। इस दौरान धरती पर कुछ समय के लिए अंधेरा सा छा जाता है। इस बार सूर्यग्रहण 29 मार्च को चैत्र अमावस्या के दिन लगेगा। यह एक खंडग्रास सूर्यग्रहण होगा, जिसका मतलब है कि चंद्रमा सूर्य का केवल कुछ हिस्सा ही ढकेगा। यह ग्रहण दोपहर 2 बजकर 21 मिनट पर शुरू होगा और शाम 6 बजकर 14 मिनट तक चलेगा। यह दृश्य खगोलीय दृष्टि से काफी खास रहेगा।


सूतक में इन बातों का रखें ध्यान


  • घर के मंदिरों को पर्दे से ढक देना चाहिए।
  • ग्रहण से पहले और बाद में स्नान करना फायदेमंद होता है।
  • गर्भवती महिलाओं को खास सावधानी बरतनी चाहिए और ग्रहण के दौरान घर के भीतर रहने की सलाह दी जाती है।
  • ग्रहण खत्म होने के बाद घर की सफाई और पवित्रता बनाए रखना शुभ माना जाता है।


चूंकि 29 मार्च 2025 का सूर्यग्रहण भारत में असर नहीं डालेगा, इसलिए इस बार सूतक काल से जुड़े किसी खास नियम को अपनाने की जरूरत नहीं होगी। हालांकि, आस्था रखने वाले लोग अपनी मान्यताओं के अनुसार कुछ नियमों का पालन कर सकते हैं।

यह लेख ज्योतिषीय मान्यताओं पर आधारित है और इसका उद्देश्य केवल सामान्य जानकारी देना है। इसमें दी गई जानकारी का वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। पाठकों से अनुरोध है कि इसे अंधविश्वास के रूप में न लें। कोई भी महत्वपूर्ण निर्णय विशेषज्ञ की सलाह से ही लें। 

........................................................................................................
धनतेरस व्रत कथा: माता लक्ष्मी और किसान की कहानी (Mata Laxmi aur kisan ki kahani: Dhanteras ki vrat Katha)

एक बार भगवान विष्णु और लक्ष्मी माता पृथ्वी लोक पर घूम रहे थे। विष्णु जी किसी काम से दक्षिण दिशा की ओर चले गए और लक्ष्मी माता को वहीं पर रूकने के लिए कहा।

डोल ग्यारस 2024: भगवान श्रीकृष्ण की जलवा पूजन से जुड़ा है ये त्योहार, जानें इस दिन का महत्व और पूजा विधि

यह पर्व भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को भगवान श्री कृष्ण की पूजा और उत्सव के लिए मनाया जाता है।

मैली चादर ओढ़ के कैसे - भजन (Maili Chadar Odh Ke Kaise)

मैली चादर ओढ़ के कैसे,
द्वार तुम्हारे आऊँ,

विवाह पंचमी के उपाय क्या हैं

हिंदू कैलेंडर के हिसाब से विवाह पंचमी का पर्व मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन मनाई जाती है। इस दिन प्रभु श्रीराम और माता सीता की विधिवत रूप से पूजा-अर्चना करने का विधान है। वहीं इस साल विवाह पंचमी 06 दिसंबर शुक्रवार के दिन मनाई जाएगी।

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।