विवाह पंचमी कब है

5 या 6 दिसंबर कब मनाई जाएगी विवाह पंचमी? श्रीराम और सीता विवाह की तारीख 


विवाह पंचमी एक विशेष हिंदू पर्व है, जो भगवान श्री राम और माता सीता के विवाह के अवसर पर मनाया जाता है। यह दिन विशेष रूप से रामभक्तों के लिए महत्वपूर्ण है। क्योंकि, इसे श्री राम और सीता के दिव्य विवाह की याद में मनाया जाता है। ये दिन सनातन हिंदू धर्म को मानने वालों के साथ हर भारतीय के लिए काफ़ी महत्वपूर्ण माना जाता है। तो आइए इस आलेख में इसकी विशेष तिथि से लेकर पूजा विधि तक की पूरी जानकारी विस्तार से समझते हैं। 


विवाह पंचमी की शुभ तिथि


पंचांग के अनुसार विवाह पंचमी की शुभ तिथि 5 दिसंबर को सुबह 12 बजकर 39 मिनट पर शुरू होगी जिसका समापन 6 दिसंबर सुबह 12 बजकर 07 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार 6 दिसंबर 2024 को ही विवाह पंचमी मनाई जाएगी। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार इस दिन ध्रुव योग का निर्माण हो रहा है। इसके अलावा सर्वार्थ सिद्धि योग और शिववास योग का भी निर्माण होने वाला है। इसलिए, यह दिन बेहद शुभ होने वाला है। विवाह पंचमी का पर्व भगवान श्रीराम और माता सीता के विवाह के ऐतिहासिक महत्व को स्मरण करने के लिए मनाया जाता है। हिंदू धर्म में रामायण के अनुसार, भगवान राम और माता सीता का विवाह एक आदर्श विवाह माना जाता है। इस दिन, भक्त श्रीराम और सीता की पूजा करते हैं और उनके विवाह के पवित्र सम्बन्ध की महिमा का गायन भी करते हैं।


विवाह पंचमी पूजा विधि


विवाह पंचमी के दिन पूजा करने का विशेष तरीका होता है। 


  • सुबह स्नान और शुद्धता: सबसे पहले पूजा स्थल को स्वच्छ करें और स्नान कर शुद्ध हो जाएं।
  • मूर्ति स्थापना: भगवान श्रीराम और माता सीता की तस्वीरें या मूर्तियां स्थापित करें। आप घर के पूजा स्थल पर भी भगवान श्रीराम और माता सीता की तस्वीर या मूर्ति रखें।
  • माला, दीप और फल चढ़ाएं: भगवान श्रीराम और माता सीता को फूलों की माला अर्पित करें, दीप जलाएं और फल चढ़ाएं।
  • राम विवाह का करें पाठ: इस दिन विशेष रूप से राम विवाह का पाठ किया जाता है। रामायण के सुंदरकांड के पाठ से विवाह के महत्व को समझा जाता है।
  • संगीत और भजन: इस दिन राम के विवाह के भजन और कीर्तन गाए जाते हैं। श्रद्धालु लोग राम के विवाह की कथा सुनते हैं और भगवान के गुणों का गुणगान करते हैं।


विवाह पंचमी का महत्‍व


चूंकि, हिंदू धर्म में राम-सीता की जोड़ी आदर्श मानी जाती है। विवाह पंचमी उनके पवित्र बंधन का प्रतीक है। इस दिन लोग मंदिरों में जाकर पूजापाठ करते हैं, रामचरितमानस का पाठ करते हैं। भगवान राम और माता सीता की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। कई जगहों पर राम-सीता विवाह का भव्य आयोजन भी होता है। इस दिन दान का विशेष महत्व है। लोग गरीबों और जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और धन का दान देते हैं। मान्यता है कि दान करने से पुण्य मिलता है और जीवन में बरकत आती है। राम-सीता का जीवन हमें आदर्श वैवाहिक जीवन जीने की प्रेरणा देता है। इसलिए, इस त्योहार से हम उनके गुणों को अपने जीवन में अपनाने का प्रयास कर सकते हैं।


........................................................................................................
रंग पंचमी की कथा

रंग पंचमी हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखती है और यह पर्व चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन देवी-देवता धरती पर आकर भक्तों के साथ होली खेलते हैं और उनकी मनोकामनाओं को पूरा करते हैं।

चंदा सिर पर है जिनके शिव (Chanda Sir Par Hai Jinke Shiv)

चंदा सिर पर है जिनके,
कानो में कुण्डल चमके,

Shri Baglamukhi Chalisa (श्री बगलामुखी चालीसा)

नमो महाविद्या बरदा , बगलामुखी दयाल।
स्तम्भन क्षण में करे , सुमरित अरिकुल काल।।

हमें गुरुदेव तेरा सहारा न मिलता (Hame Gurudev Tera Sahara Na Milata)

हमें गुरुदेव तेरा सहारा न मिलता ।
ये जीवन हमारा दुबारा न खिलता ॥

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।