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सनातन धर्म के पूज्यनीय ग्रंथ रामचरितमानस में शबरी की तपस्या और भगवान श्रीराम के प्रति निष्ठा भाव को दर्शाया गया है। रामचरितमानस में माता शबरी भगवान श्रीराम की अनन्य भक्तों में से एक खास भक्त थीं। शबरी जयंती हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो माता शबरी की भक्ति और समर्पण को सम्मानित करता है। शबरी को भगवान श्रीराम के प्रति अपनी अटूट भक्ति के लिए जाना जाता है, जिन्होंने राम जी की प्रतीक्षा में अपने जीवन के कई साल गुजार दिए थे। जब भगवान राम 14 साल का वनवास काट रहे थे, तब उन्होंने शबरी को दर्शन दिए थे। आइए जानते हैं शबरी जयंती की तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व के बारे में।
हर साल माता शबरी के जन्मोत्सव के रूप में शबरी जयंती मनाई जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, शबरी जयंती फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाई जाती है। इस साल 2025 में शबरी जयंती 19 फरवरी को सुबह 7 बजकर 32 मिनट से शुरू होकर 20 फरवरी को सुबह 9 बजकर 58 मिनट तक रहेगी। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार 20 फरवरी को शबरी जयंती मनाई जाएगी। इस शुभ दिन पर भगवान राम और माता शबरी की पूजा-अर्चना की जाती है और व्रत रखा जाता है। इसके साथ ही इस दिन दान-पुण्य करना भी बहुत पुण्यदायी माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इसी दिन प्रभु श्री राम ने माता शबरी के चखे हुए बेर खाए थे और इसी दिन माता शबरी को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी।
शबरी जयंती से हमें यह सीख मिलती है कि सच्ची भक्ति और समर्पण से भगवान की कृपा प्राप्त की जा सकती है, चाहे व्यक्ति की सामाजिक या आर्थिक स्थिति कुछ भी हो। माता शबरी की कथा यह संदेश देती है कि भगवान केवल प्रेम और भक्ति के भूखे हैं, और वे अपने भक्तों के सच्चे समर्पण को स्वीकार करते हैं।
माता शबरी का जन्म एक भील समुदाय में हुआ था। उन्होंने अपने जीवन में महान तपस्या और भक्ति के माध्यम से भगवान श्रीराम का आशीर्वाद प्राप्त किया। उनकी कथा रामायण में वर्णित है, जहां उन्होंने अपने प्रेम और समर्पण से भगवान श्रीराम को वनवास के दौरान अपनी झोपड़ी में आमंत्रित किया और उन्हें बेर अर्पित किए। यह घटना यह दर्शाती है कि भगवान अपने भक्तों के प्रेम और भक्ति को सर्वोपरि मानते हैं। इस पर्व के माध्यम से समाज में जाति, वर्ग, और अन्य भेदभावों को मिटाने का प्रयास किया जाता है। शबरी जयंती के अवसर पर हम सभी को माता शबरी की भक्ति और समर्पण से प्रेरणा लेकर अपने जीवन में प्रेम, सेवा, और समानता के मूल्यों को अपनाना चाहिए, इससे समाज में सकारात्मक परिवर्तन आएगा।
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