सकट चौथ व्रत कथा

Sakat Chauth 2025: इस कथा के बिना अधूरा है सकट चौथ का व्रत, पूजा के समय जरूर करें पाठ


सकट चौथ पर भगवान गणेश की पूजा के साथ-साथ व्रत कथा का पाठ करना भी अनिवार्य माना जाता है। ऐसा करने से व्रतधारी को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और उसके जीवन से सभी संकट दूर हो जाते हैं। सकट चौथ व्रत भगवान गणेश की अनंत कृपा प्राप्त करने का विशेष दिन है। सकट व्रत कथा का पाठ और पूजा विधि का पालन करके व्यक्ति अपने जीवन की सभी बाधाओं को दूर कर सकता है और सुख-समृद्धि प्राप्त कर सकता है। तो आइए, इस आर्टिकल में सकट व्रत कथा के बारे में विस्तार पूर्वक जानते हैं। 


सकट चौथ व्रत कथा का महत्व 


सकट चौथ का व्रत भगवान गणेश की पूजा को समर्पित है। माना जाता है कि यदि सच्चे मन से सकट चौथ का उपवास किया जाए तो संतान सुख की प्राप्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है। हालांकि, इस दिन सकट व्रत कथा का पाठ करना अनिवार्य होता है। व्रत कथा  से ही उपवास का संपूर्ण फल प्राप्त होता है। 


जानिए सकट व्रत कथा 


एक बार भगवान शिव जी ने कार्तिकेय और गणेश जी से पूछा कि तुम दोनों में से कौन देवताओं के कष्टों का निवारण कर सकता है ? शिव जी की यह बात सुनकर दोनों ने ही स्वयं को इस कार्य के लिए उपयुक्त बताया। तब गणेश जी और कार्तिकेय के जवाब सुनकर महादेव ने कहा कि तुम दोनों में से जो भी पहले इस पृथ्वी की परिक्रमा करके वापिस लोटेगा वहीं देवताओं की मदद करने जाएगा। शिव जी के इस वचन को सुनकर कार्तिकेय अपने वाहन मोर पर सवार होकर पृथ्वी की परिक्रमा के लिए निकल गए। हालांकि, इस दौरान भगवान गणेश सोच में पड़ गए कि वे चूहे के ऊपर चढ़कर सारी पृथ्वी की परिक्रमा करेंगे तो इसमें बहुत समय लग जाएगा।


इस समय गणेश जी को फिर एक उपाय सूझा। और तभी वह अपने स्थान से उठकर अपने माता-पिता की सात परिक्रमा करके वापस बैठ गए। वहीं पृथ्वी की पूरी परिक्रमा करके कार्तिकेय भी लौट आए और स्वयं को विजय बताने लगे, फिर जब भोलेनाथ ने गणेश जी से पृथ्वी की परिक्रमा न करने का कारण पूछा, तो गणेश जी ने अपने उत्तर मे कहा कि “माता-पिता के चरणों में ही समस्त लोक हैं।” गणेश जी के जवाब सुनकर शिव जी ने गणेशजी को देवताओं के संकट दूर करने की आज्ञा दी। इतना ही नहीं शंकर जी ने कहा कि जो भी साधक चतुर्थी के दिन तुम्हारा श्रद्धा पूर्वक पूजन करेगा और रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देगा उसके सभी कष्ट दूर हो जाएंगे।


व्रत और पूजा विधि


  • व्रत की शुरुआत: प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और भगवान गणेश की मूर्ति या तस्वीर के सामने व्रत का संकल्प लें।
  • पूजा की तैयारी: पूजा स्थल को साफ करके भगवान गणेश की प्रतिमा को स्थापित करें। उनके सामने दीपक जलाएं और तिल, गुड़, मोदक, तथा अन्य प्रसाद चढ़ाएं।
  • संकल्प और कथा पाठ: व्रत की सफलता के लिए सकट व्रत कथा का पाठ करें।
  • चंद्रमा को अर्घ्य: रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित करें। इसे व्रत का सबसे महत्वपूर्ण चरण माना गया है।


सकट चौथ व्रत से जुड़े नियम


  • इस दिन केवल तिल और गुड़ से बने व्यंजन ही खाए जाते हैं।
  • दिनभर निर्जला व्रत रखा जाता है और पूजा के बाद ही भोजन किया जाता है।
  • पूजा में लाल वस्त्र और लाल फूलों का विशेष महत्व होता है।

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हिम्मत ना हारिए, प्रभु ना बिसारिए(Himmat Na Hariye, Prabhu Na Bisraiye)

हिम्मत ना हारिए
प्रभु ना बिसारिए ।

स्कंद षष्ठी व्रत की पौराणिक कथा

स्कंद षष्ठी व्रत भगवान कार्तिकेय जिन्हें मुरुगन, सुब्रमण्यम और स्कंद के नाम से भी जाना जाता है उनकी पूजा को समर्पित है। यह व्रत मुख्यतः दक्षिण भारत में मनाया जाता है। भगवान कार्तिकेय को युद्ध और शक्ति के देवता के रूप में पूजते हैं।

बसंत पंचमी कथा

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माघ पूर्णिमा पूजा विधि

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