सकट चौथ पूजा विधि

Sakat Chauth 2025: सकट चौथ पर इस खास विधि से करें गणेश जी की पूजा, सभी कष्टों से मिलेगी मुक्ति 



हिंदू धर्म में सकट चौथ का व्रत अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। यह व्रत भगवान गणेश और सकट माता की पूजा-अर्चना के लिए प्रसिद्ध है। इस दिन महिलाएं अपनी संतान की लंबी आयु, सुख-समृद्धि और उनके जीवन में आने वाले संकटों को दूर करने के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। सकट चौथ के दिन भगवान गणेश और सकट माता का पूजन करने से सभी विघ्न-बाधाओं का नाश होता है और जीवन में सुख, शांति और सफलता प्राप्त होती है। तो आइए, इस आर्टिकल में सकट चौथ व्रत की पूजा विधि को विस्तार से जानते हैं। 

सकट चौथ की खास पूजा विधि


इस दिन पूजा करने के लिए विशेष नियमों का पालन करना चाहिए।

  • सुबह स्नान और संकल्प:- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और गणेश जी का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें। स्वच्छ चौकी पर हरे या लाल रंग का कपड़ा बिछाएं।
  • गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें:- गणेश जी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। इसके साथ ही पूजन सामग्री जैसे सिंदूर, दूर्वा, फूल, फल, मिठाई और तिल से बनी चीजें चढ़ाएं। 
  • व्रत कथा और आरती:- सकट चौथ की व्रत कथा का पाठ करें और भगवान गणेश की आरती उतारें। आरती के बाद सभी को प्रसाद वितरित करें।
  • विशेष भोग अर्पित करें:- इस दिन तिलकुट का भोग विशेष रूप से लगाना चाहिए, क्योंकि यह भगवान गणेश को प्रिय है। इसके अलावा मोदक का भोग भी अर्पित करें, जो गणेश जी को अत्यंत प्रिय है।

गणेश जी के मंत्र और उनके लाभ


  • “श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा।।” गणेश जी के इस मंत्र का जाप विघ्न-बाधाओं को दूर करने के लिए कर सकते हैं। 
  • “ॐ श्रीं गं सौभ्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं में वशमानय स्वाहा।।” गणेश जी के इस मंत्र का जाप धन लाभ के लिए किया जाता है। 
  • “ॐ गं गणपतये नमः।।” इसका 108 बार जाप करें। यह विद्यार्थियों के लिए अचूक मंत्र है। 
  • “ॐ एक दन्ताय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात” मंत्र का जप जीवन के सभी संकटों और बाधाओं को दूर करता है। 

जानिए सकट चौथ व्रत के लाभ


सनातन धर्म में सकट चौथ का विशेष महत्व है। भगवान गणपति को शास्त्रों में प्रथम पूज्य माना गया है। शास्त्रों के अनुसार सकट चौथ के अवसर पर भगवान गणेश की विशेष पूजा-अर्चना करने से साधक को बुद्धि, विद्या और ज्ञान मिलता है। इनके स्मरण, ध्यान, जप आराधना से मनोकामनाओं की पूर्ति होती है और विघ्नों का नाश होता है। पौराणिक मत है कि इस दिन गणपति ने देवताओं का संकट दूर किया था इसलिए इस दिन को सकट चौथ कहा जाता है। इस दिन भगवान गणेश के साथ सकट माता की भी पूजा की जाती है। 

सकट चौथ का विशेष महत्व


सकट चौथ का नाम ही बताता है कि यह दिन संकटों के निवारण का है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन भगवान गणेश ने देवताओं के संकट दूर किए थे। इस दिन गणेश जी की पूजा से साधक को बुद्धि, विद्या और ज्ञान की प्राप्ति होती है।

सकट चौथ पर अवश्य करें दान


इस दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व होता है। इसलिए, इस दिन तिलकुट, गजक, रेवड़ी और तिल-गुड़ का दान कर सकते हैं। इसके अलावा, जरूरतमंदों को कंबल, स्वेटर और रजाई का दान कर सकते हैं। वहीं, अन्नदान के अलावा गुड़, स्वर्ण, वस्त्र, गौघृत, रत्न, चांदी और शक्कर का दान करें। यह 10 महादान में शामिल हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन गाय और हाथी को गुड़ खिलाने से अकाल मृत्यु का भय भी समाप्त होता है और परिवार में सुख-शांति का वास होता है।


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