नवीनतम लेख
नवीनतम लेख
प्रातः स्मरामि खलु तत्सवितुर्वरेण्यं रूपं हि मंडलमृचोऽथ तनुर्यजूंषि।
सामानि यस्य किरणाः प्रभवादिहेतुं ब्रह्माहरात्मकमलक्ष्यमचिन्त्यरूपम् ॥
प्रातर्नमामि तरणिं तनुवाङ्गनोभि- ब्रह्मेन्द्रपूर्वकसुरैर्नुतमर्चितं च ।
वृष्टिप्रमोचनविनिग्रहहेतुभूतं त्रैलोक्यपालनपरं त्रिगुणात्मकं च ॥
प्रातर्भजामि सवितारमन्तशक्तिं तं सर्वलोककलनात्मककालमूर्ति गोकण्ठबंधनविमचोनमादिदेवम्॥
श्लोकत्रयमिदं भानोः प्रातः प्रातः पठेत् तु यः।
मैं सूर्य भगवान के उस श्रेष्ठ रूप का प्रातः समय स्मरण करता हूं। जिसका मंडल ऋग्वेद है तनु यजुर्वेद है और किरणें सामवेद हैं तथा जो ब्रह्मा का दिन है। जगत की उत्पत्ति, रक्षा और नाश का कारण है तथा अलक्ष्य और अचिंत्यस्वरूप है।
मैं प्रातः समय शरीर, वाणी और मन के द्वारा ब्रह्मा, इन्द्र आदि देवताओं से स्तुत और पूजित, वृष्टि के कारण एवं अवृष्टि के हेतु तीनों लोकों के पालन में तत्पर और सत्व आदि त्रिगुण रूप धारण करने वाले तरणि (सूर्य भगवान) को नमस्कार करता हूं।
जो पापों के समूह तथा शत्रुजनित भय एवं रोगों का नाश करनेवाले हैं, सबसे उत्कृष्ट हैं, संपूर्ण लोकों के समय की गणना के निमित्त भूतकाल स्वरूप हैं और गौओं के कण्ठबंधन छुड़ाने वाले हैं, उन अनंत शक्ति आदिदेव सविता नारायण (सूर्य भगवान) का मैं प्रातः काल भजन-कीर्तन करता हूं।'
जो मनुष्य प्रतिदिन प्रातःकाल सूर्य के स्मरणरूप इन तीनों श्लोकों का पाठ करता है, वह सब रोगों से मुक्त होकर परम सुख प्राप्त कर सकता है।
........................................................................................................मत्स्य जयंती भगवान विष्णु के पहले अवतार, “मत्स्यावतार” अर्थात् मछली अवतार की विशेष पूजा के रूप में मनाई जाती है।
एक समय श्री महादेवजी पार्वती के साथ भ्रमण करते हुए मृत्युलोक में अमरावती नगरी में आए। वहां के राजा ने शिव मंदिर बनवाया था, जो कि अत्यंत भव्य एवं रमणीक तथा मन को शांति पहुंचाने वाला था। भ्रमण करते सम शिव-पार्वती भी वहां ठहर गए।
सबना दा रखवाला ओ शिवजी डमरूवाला जी
डमरू वाला उपर कैलाश रहंदा भोले नाथ जी
प्रदोष व्रत एक महत्वपूर्ण हिंदू व्रत है, जो भगवान शिव को समर्पित है। यह व्रत हर माह की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। इस दिन भक्त भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करते हैं और उनके निमित्त प्रदोष व्रत रखते हैं।
'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।
श्रीपद्मनाभस्वामी मंदिर, केरल, तिरूअनंतपुरम (Shri Padmanabhaswamy Mandir, Kerala, Thiruvananthapuram)
श्रीसोमेश्वर स्वामी मंदिर(सोमनाथ मंदिर), गुजरात (Shri Someshwara Swamy Temple (Somnath Temple), Gujarat)
ॐकारेश्वर महादेव मंदिर, ओमकारेश्वर, मध्यप्रदेश (Omkareshwar Mahadev Temple, Omkareshwar, Madhya Pradesh)
श्री रंगनाथस्वामी मंदिर - नेल्लोर, आंध्र प्रदेश (Sri Ranganadha swamI Temple - Nellore, Andhra Pradesh)
यागंती उमा महेश्वर मंदिर- आंध्र प्रदेश, कुरनूल (Yaganti Uma Maheshwara Temple- Andhra Pradesh, Kurnool)
श्री सोमेश्वर जनार्दन स्वामी मंदिर- आंध्र प्रदेश (Sri Someshwara Janardhana Swamy Temple- Andhra Pradesh)
Shri Sthaneshwar Mahadev Temple, Thanesar, Kurukshetra (स्थानेश्वर महादेव मंदिर, थानेसर, कुरुक्षेत्र)
अरुल्मिगु धनदायूंथापनी मंदिर, पलानी, तमिलनाडु (Arulmigu Dhandayunthapani Temple, Palani, Tamil Nadu)
गोमटेश्वर बाहुबली मंदिर, श्रवणबेलगोला, कर्नाटक (Gommateshwara Bahubali Temple, Shravanabelagola, Karnataka)
श्री श्री राधा गोपीनाथ मंदिर इस्कॉन चौपाटी मुंबई (Sri Sri Radha Gopinath Temple, ISKCON Chowpatty, Mumbai)
TH 75A, New Town Heights, Sector 86 Gurgaon, Haryana 122004
Our Services
Copyright © 2024 Bhakt Vatsal Media Pvt. Ltd. All Right Reserved. Design and Developed by Netking Technologies