कबहुँ ना छूटी छठि मइया (Kabahun Na Chhooti Chhath)

कबहुँ ना छूटी छठि मइया,

हमनी से बरत तोहार

हमनी से बरत तोहार


तहरे भरोसा हमनी के,

छूटी नाही छठ के त्योहार

छूटी नाही छठ के त्योहार


अपने सरन में ही रखिह,

दिह आसिस हज़ार

दिह आसिस हज़ार


गोदिया भराईल छठी मइय्या,

बाटे राऊर किरपा अपार

बाटे राऊर किरपा अपार


चाहें रहब देसवा बिदेसवा,

छठ करब हम हर बार

छठ करब हम हर बार


डूबतो सुरुज के जे पूजे,

इहे बाटे हमर बिहार

इहे बाटे हमर बिहार


फलवा दउरवा सजाके,

अईनी हम घाट पे तोहार

अईनी हम घाट पे तोहार


दिहनी अरघ छठी मईया,

करीं हमर आरती स्वीकार

करीं हमर आरती स्वीकार


कबहुँ ना छूटी छठि मइया,

हमनी से बरत तोहार

हमनी से बरत तोहार


तहरे भरोसा हमनी के,

छूटी नाही छठ के त्योहार

छूटी नाही छठ के त्योहार

छूटी नाही छठ के त्योहार

छूटी नाही छठ के त्योहार

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तेरी करती रहूँ मैं चाकरी, वरदान यही मैं चाहूँ(Teri Karti Rahu Main Chakri Vardan Yahi Main Chahu)

तेरी करती रहूं मैं चाकरी,
वरदान यही मैं चाहूँ,

सच्चे मन से माँ की, ज्योत तुम जगाओ (Sacche Man Se Maa Ki Jyot Tum Jagao)

सच्चे मन से माँ की,
ज्योत तुम जगाओ,

सो सतगुरु प्यारा मेरे नाल है - शब्द कीर्तन (So Satguru Pyara Mere Naal Hai)

सो सतगुरु प्यारा मेरे नाल है,
जिथे किथे मैनु लै छडाई

अनंग त्रयोदशी के दिन प्रेमी जोड़ों के लिए विशेष उपाय

अनंग त्रयोदशी व्रत हर साल मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। यह दिन विशेष रूप से प्रेम और दांपत्य जीवन के लिए महत्व रखता है।

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