तेरी करती रहूँ मैं चाकरी, वरदान यही मैं चाहूँ(Teri Karti Rahu Main Chakri Vardan Yahi Main Chahu)

तेरी करती रहूं मैं चाकरी,

वरदान यही मैं चाहूँ,

वरदान यही मैं चाहूँ,

वरदान यही मैं चाहूँ,

वरदान यही मैं चाहूँ,

तेरी करती रहूँ मैं चाकरी,

वरदान यही मैं चाहूँ,

माँ शेरावाली वर देना,

माँ ज्योता वाली वर देना ॥


एक जनम क्या कई जन्मों तक,

तेरी सेवा पाऊं,

सुन्दर सुन्दर इन हाथों से,

तेरे द्वार सजाऊँ,

मेरी लगती रहें दर हाजरी,

वरदान यही मैं चाहूँ,

तेरी करती रहूँ मैं चाकरी,

वरदान यही मैं चाहूँ ॥


अपनी आँखों के पलकों से,

तेरा अंगना बुहारूं,

तन मन के फूलों से,

अम्बे मंदिर तेरा सवारुं,

बस मैं ये चाहूँ तेरी चाकरी,

वरदान यही मैं चाहूँ,

तेरी करती रहूँ मैं चाकरी,

वरदान यही मैं चाहूँ ॥


तेरी करती रहूं मैं चाकरी,

वरदान यही मैं चाहूँ,

वरदान यही मैं चाहूँ,

वरदान यही मैं चाहूँ,

वरदान यही मैं चाहूँ,

तेरी करती रहूँ मैं चाकरी,

वरदान यही मैं चाहूँ,

माँ शेरावाली वर देना,

माँ ज्योता वाली वर देना ॥

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मेरी विपदा टाल दो आकर (Meri Vipda Taal Do Aakar)

मेरी विपदा टाल दो आकर,
हे जग जननी माता ॥

मकर संक्रांति पर खिचड़ी क्यों बनती है

मकर संक्रांति का त्योहार आगामी 14 जनवरी को है। देश के कई हिस्सों में इसे खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है। खिचड़ी के चावल से चंद्रमा और शुक्र की शांति संबंधित है।

हरी सिर धरे मुकुट खेले होरी (Hari Sir Dhare Mukut Khele Hori)

हरी सिर धरे मुकुट खेले होरी
कहाँ से आयो कुँवर कन्हैया

नवंबर में इस दिन रखा जाएगा प्रदोष व्रत

प्रदोष व्रत एक महत्वपूर्ण हिंदू व्रत है, जो भगवान शिव को समर्पित है। यह व्रत हर माह की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। इस दिन भक्त भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करते हैं और उनके निमित्त प्रदोष व्रत रखते हैं।

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