तेरी करती रहूँ मैं चाकरी, वरदान यही मैं चाहूँ(Teri Karti Rahu Main Chakri Vardan Yahi Main Chahu)

तेरी करती रहूं मैं चाकरी,

वरदान यही मैं चाहूँ,

वरदान यही मैं चाहूँ,

वरदान यही मैं चाहूँ,

वरदान यही मैं चाहूँ,

तेरी करती रहूँ मैं चाकरी,

वरदान यही मैं चाहूँ,

माँ शेरावाली वर देना,

माँ ज्योता वाली वर देना ॥


एक जनम क्या कई जन्मों तक,

तेरी सेवा पाऊं,

सुन्दर सुन्दर इन हाथों से,

तेरे द्वार सजाऊँ,

मेरी लगती रहें दर हाजरी,

वरदान यही मैं चाहूँ,

तेरी करती रहूँ मैं चाकरी,

वरदान यही मैं चाहूँ ॥


अपनी आँखों के पलकों से,

तेरा अंगना बुहारूं,

तन मन के फूलों से,

अम्बे मंदिर तेरा सवारुं,

बस मैं ये चाहूँ तेरी चाकरी,

वरदान यही मैं चाहूँ,

तेरी करती रहूँ मैं चाकरी,

वरदान यही मैं चाहूँ ॥


तेरी करती रहूं मैं चाकरी,

वरदान यही मैं चाहूँ,

वरदान यही मैं चाहूँ,

वरदान यही मैं चाहूँ,

वरदान यही मैं चाहूँ,

तेरी करती रहूँ मैं चाकरी,

वरदान यही मैं चाहूँ,

माँ शेरावाली वर देना,

माँ ज्योता वाली वर देना ॥

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Har Janam Mein Baba Tera Sath Chahiye Lyrics (हर जनम में बाबा तेरा साथ चाहिए)

हर जनम में बाबा तेरा साथ चाहिए,
सिर पे मेरे बाबा तेरा हाथ चाहिए,

भीष्म अष्टमी कब है, शुभ मुहूर्त एवं योग

माघ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को भीष्म अष्टमी मनाई जाती है। कहा जाता है कि इसी दिन बाणों की शय्या पर लेटे भीष्म पितामह ने अपने प्राण त्याग किए थे। इसलिए सनातन धर्म में यह तिथि अत्यंत शुभ मानी गई है।

रुक्मिणी अष्टमी पूजा विधि

सनातन धर्म के लोगों की भगवान कृष्ण से खास आस्था जुड़ी है। कृष्ण जी को भगवान विष्णु का ही एक अवतार माना जाता है, जो धैर्य, करुणा और प्रेम के प्रतीक हैं।

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