धनतेरस पूजा विधि

धनतेरस के दिन इस प्रकार करें पूजा, प्रसन्न होंगे धन कुबेर 



धनतेरस का नाम धन और तेरस ये दो शब्दों से बना है जिसमें धन का मतलब संपत्ति और समृद्धि है और तेरस का अर्थ है पंचांग की तेरहवीं तिथि। यह त्योहार खुशहाली, सुख और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। धनतेरस को धन त्रयोदशी और धन्वंतरि जयंती के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान धन्वंतरि, माता लक्ष्मी और कुबेर देवता की आराधना की जाती है, इससे  लाभ की प्राप्ति होती है। तो आइए, इस आर्टिकल में धनतेरस के दिन धन्वंतरि, श्री लक्ष्मी और धन कुबेर की पूजा करने की विधि के बारे में विस्तार पूर्वक जानते हैं। 


2025 में कब है धनतेरस?



इस वर्ष, यानी 2025 में, धनतेरस भारत में 18 अक्टूबर को मनाया जाएगा। यह पर्व दिवाली से दो दिन पहले आता है और इस दिन खरीदारी करने का विशेष महत्व होता है। बता दें कि, धनतेरस को धन्वंतरि जयंती के नाम से भी जानते हैं। मान्यता है कि इस दिन आयुर्वेद के प्रवर्तक धन्वंतरि जी प्रकट हुए थे। 


जान लीजिए धनतेरस का शुभ मुहूर्त



  • धनतेरस पूजा मुहूर्त: 06:49 PM से 07:49 PM अवधि: 1 घंटा
  • प्रदोष काल: 05:19 PM से 07:49 PM वृषभ काल: 06:49 PM से 08:46 PM 
  • त्रयोदशी तिथि प्रारंभ: 18 अक्टूबर 2025, 12:18 PM
  • त्रयोदशी तिथि समाप्त: 19 अक्टूबर 2025, 01:51 PM


धनतेरस पूजन विधि



  • धनतेरस की पूजा संध्या काल में पूजा की जाती है यानी प्रदोष काल में सूर्यास्त के बाद। 
  • सबसे पहले एक चौकी रखें, उस पर कपड़ा बिछाइए और उसके ऊपर कुबेर भगवान और धनवंतरी भगवान की मूर्ति की स्थापना करें।
  • अब दोनों के सामने एक एक मुखी घी का दीपक जलाएं। एक दीपक कुबेर भगवान के लिए और एक दीपक धन्वंतरि भगवान के लिए जलाएं। 
  • फिर, कुबेर देवता को सफेद मिठाई का भोग लगाएं और धन्वंतरि देव को पीली मिठाई का भोग लगाएं। 
  • इसके बाद कुबेर देवता के मंत्र का जप करें- ह्रीं कुबेराय नमः, ॐ ह्रीं कुबेराय नमः
  • उसके बाद धन्वंतरि भगवान के लिए धन्वंतरि स्तोत्र का पाठ करें। 
  • इसके बाद आप प्रसाद ग्रहण करें। 
  • फिर, जहां पर आपने कुबेर देवता को रखा था। वहीं, दीपावली की भी पूजा करें। 


धनतेरस पर यम दीपक जलाने का महत्व 



धार्मिक मान्यता है कि, धनतेरस में यमराज के लिए जिस भी घर में दीपदान किया जाता है। वहां अकाल मृत्यु नहीं होती है। धनतेरस की शाम को मुख्य द्वार पर 13 एवं 13 ही दीपक घर के अंदर जलाने चाहिए। इस दिन मुख्य दीपक रात को सोते समय जलाया जाता है। इस दीपक को जलाने के लिए पुराने दीपक का उपयोग किया जाता है। यह दीपक घर के बाहर दक्षिण की तरफ मुख करके जलाना चाहिए। दरअसल, दक्षिण दिशा यम की दिशा मानी जाती है। मान्यता है कि घर में दीपक जलाने से सारी नकारात्मक ऊर्जा खत्म समाप्त हो जाती है। 

........................................................................................................
प्रभु रामचंद्र के दूता (Prabhu Ramachandra Ke Dootha)

प्रभु रामचंद्र के दूता,
हनुमंता आंजनेया ।

मेरे बाबा तुझे किसने सजाया, दिल गया हार सांवरे (Mere Baba Tujhe Kisne Sajaya Dil Gaya Haar Sanware)

मेरे बाबा तुझे किसने सजाया,
दिल गया हार सांवरे,

मेरा श्याम बड़ा अलबेला (Mera Shyam Bada Albela)

मेरा श्याम बड़ा अलबेला,
मेरी मटकी में मार गया ढेला,

मेरा मिलन करा दों श्री राम से (Mera Milan Kara Do Shree Ram Se)

सागर सागर पार से सिया का,
समाचार लाने वाले,

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।