रमा एकादशी व्रत की पूजा विधि (Rama Ekadashi Vrat Puja Vidhi)

>>सुबह जल्दी स्नान करें, घर के मंदिर में नया घी का दीपक जलाकर भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करें और गंगाजल से भगवन को स्नान करवाएं। 

 

>> इसके बाद भगवान विष्णु को पुष्प, तुलसी दल, धूप, दीप, और चंदन अदि से भगवान का पूजन करें।  


>> भगवान विष्णु को भोग लगाएं। भोग में तुलसी अवश्य रखें। साथ ही भगवान को भेट भी अर्पण करें। भगवान विष्णु के साथ-साथ माता लक्ष्मी की पूजा भी की जाती है।

  

>> पूजा के दौरान भगवान विष्णु के विष्णु सहस्त्रनाम स्त्रोत्र का पाठ करें। रमा एकादशी की व्रत कथा पढ़ें।   


>> इसके बाद भगवान कि आरती करें।  ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान देकर आशीर्वाद लें।  


>> संध्या काल में भगवान विष्णु की विशेष पूजा करें। अगले दिन किसी नजदीकी मंदिर में दान-दक्षिणा दें।  


रमा एकादशी की ये व्रत करने से माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती हैं । 


........................................................................................................
नाम लेगा जो बजरंगबली का(Naam Lega Jo Bajrangbali Ka)

नाम लेगा जो बजरंगबली का,
कष्ट जीवन के सारे कटेंगे ॥

शुक्रवार की पूजा विधि

हिंदू धर्म में शुक्रवार का दिन विशेष रूप से देवी लक्ष्मी से जुड़ा होता है। इसे लक्ष्मी व्रत या शुक्रवार व्रत के रूप में मनाया जाता है।

मकर संक्रांति पुण्य काल

2025 में, मकर संक्रांति विशिष्ट योग में 14 जनवरी को मनाई जाएगी। 14 जनवरी को सुबह 8 बजकर 41 मिनट पर सूर्य का मकर राशि में प्रवेश होगा। ऐसे में सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक स्नान-ध्यान और दान का शुभ मुहूर्त रहेगा।

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रबोधिनी एकादशी (Kaartik Maas Ke Shukl Paksh Kee Prabodhinee Ekaadashee)

ब्रह्माजी ने कहा कि हे मनिश्रेष्ठ ! गंगाजी तभई तक पाप नाशिनी हैं जब तक प्रबोधिनी एकादशी नहीं आती। तीर्थ और देव स्थान भी तभी तक पुण्यस्थल कहे जाते हैं जब तक प्रबोधिनी का व्रत नहीं किया जाता।

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।