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मैं आया हूँ तेरे द्वारे, गणराज गजानन प्यारे ॥
मैली चादर ओढ़ के कैसे, द्वार तुम्हारे आऊँ,
माई सबके बाल गोपाल, सदा खुशहाल रहे,
मैं ढूँढता तुझे था, जब कुंज और वन में । तू खोजता मुझे था, तब दीन के सदन में ॥
जय जय नमामि शंकर, गिरिजापति नमामि शंकर,
गणराज विनायक आओ, म्हारी सभा में रंग बरसाओ,
महामंत्र शिवजी का, हमें प्यारा लागे ॥
नमस्तेस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते शंख चक्र गदाहस्ते महालक्ष्मी नमोस्तुते
महल को देख डरे सुदामा का रे भई मोरी राम मड़ईया
तेरे कलयुग में भी भक्तो ने कमाल कर दिया, हो जय श्री महाकाल के नारे ने धमाल कर दिया,