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माँ ! मुझे तेरी जरूरत है । कब डालोगी, मेरे घर फेरा
मैं चाहूँ सदा दर तेरे आना, तू यूँ ही बुलाना दातिए,
तेरे दरबार का पाने नज़ारा, मैं भी आया हू,
मैं भोला पर्वत का रै तू राणी महला की
मैं भी बोलूं राम तुम भी बोलो ना, राम है अनमोल मुख को खोलो ना ॥
मैं तो लाई हूँ दाने अनार के, मेरी मैया के नौ दिन बहार के ॥
मैं तो झूम झूम नाचूं रे आज, आज मैया घर आयी है,
लाल लंगोटे वाले वीर हनुमान है, हनुमान गढ़ी में बैठे,
लाल लाल चुनरी की अजब कहानी, ओढ़ के आई मेरी अंबे भवानी,
लाल ध्वजा लहराये रे, मैया तोरी ऊंची पहड़िया ॥