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मैं तो आई वृन्दावन धाम, किशोरी तेरे चरनन में ।
माँ शारदे, माँ शारदे, माँ शारदे, माँ शारदे,
मैं तो बांके की बांकी बन गई, और बांका बन गया मेरा,
माँ शारदा भवानी, बैठी है देखो कैसे,
मैं हार गया जग से, अब तुमको पुकारा है,
मैं तो शिव की पुजारन बनूँगी, अपने भोले की जोगन बनूँगी,
माँ रेवा थारो पानी निर्मल, खलखल बहतो जायो रे..
मैं तो शिव ही शिव को ध्याऊँ, जल से स्नान कराऊँ,
मैं दो-दो माँ का बेटा हूँ, दोनों मैया बड़ी प्यारी है ।
माँ मुरादे पूरी करदे हलवा बाटूंगी। ज्योत जगा के, सर को झुका के,