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माँ मुरादे पूरी करदे हलवा बाटूंगी(Maa Murade Puri Karde Main Halwa Batungi)

माँ मुरादे पूरी करदे हलवा बाटूंगी।

ज्योत जगा के, सर को झुका के,

मैं मनाऊंगी, दर पे आउंगी, मनाऊंगी, मैं आउंगी॥


संतो महंतो को बुला के घर में कराऊं जगराता।

सुनती है सब की फरियादें, मेरी भी सुन लेगी माता।

झोली भरेगी, संकट हरेगी, भेटा गाऊँगी,

मैं मनाऊंगी, भेटें गाऊँगी, मनाऊंगी, मैं आउंगी॥

॥ माँ मुरादे पूरी करदे...॥


दिल से सुनो शेरा वाली माँ, खड़ी मैं बन के सवाली।

झोली भरो मेरी रानी वाली माँ, गोदी है लाल से खाली।

कृपा करो, गोदी भरो, मैं दर पे आउंगी, मैं भेटें गाऊँगी,

मैं आउंगी, मैं गाऊँगी, मैं आउंगी॥

॥ माँ मुरादे पूरी करदे...॥


भवन तेरा है सब से ऊँचा माँ, और गुफा तेरी नयारी।

भाग्य विदाता ज्योता वाली माँ, कहती है दुनिया सारी।

दाति तुम्हारा, ले के सहारा, मैं दर पे आउंगी, मैं भेटे गाऊँगी,

मैं आउंगी, मैं गाऊँगी, मैं आउंगी॥

॥ माँ मुरादे पूरी करदे...॥


कृपा करो वरदानी माँ, छाया है गम का अँधेरा।

तेरे बिना मेरा कोई ना, मुझ को भरोसा है तेरा।

दाति तुम्हारा, ले के सहारा, दर पे आउंगी, मैं भेटे गाऊँगी,

मैं आउंगी, मैं गाऊँगी, मैं आउंगी॥

॥ माँ मुरादे पूरी करदे...॥


माँ मुरादे पूरी करदे हलवा बाटूंगी।

ज्योत जगा के, सर को झुका के,

मैं मनाऊंगी, दर पे आउंगी, मनाऊंगी, मैं आउंगी॥

काली सहस्त्रनाम (Kali Sahastranam)

श्मशान-कालिका काली भद्रकाली कपालिनी ।

क्यों घबराता है पल पल मनवा बावरे (Kyun Ghabrata Hai Pal Pal Manva Baware)

क्यों घबराता है,
पल पल मनवा बावरे,

मोक्षदा एकादशी की व्रत कथा

मोक्षदा एकादशी हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो भगवान विष्णु को समर्पित है। यह त्योहार मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है, जो भगवान विष्णु की कृपा से मोक्ष की प्राप्ति का प्रतीक है।

मेरे भोले बाबा जटाधारी शम्भू (Mere Bhole Baba Jatadhari Shambhu)

मेरे भोले बाबा जटाधारी शम्भू,
हे नीलकंठ त्रिपुरारी हे शम्भू ॥

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