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गौरी गणेश मनाऊँ आज सुध लीजे हमारी (Gauri Ganesh Manau Aaj Sudh Lije Hamari)

गौरी गणेश मनाऊँ,

आज सुध लीजे हमारी,

गौरी गणेश मनाऊँ,

आज सुध लीजे हमारी ।


सुरहिन गैया को गोबर मनागौं,

दिग धर अगना लीपाऊं,

आज सुध लीजे हमारी ।


गौरी गणेश मनाऊँ,

आज सुध लीजे हमारी,

गौरी गणेश मनाऊँ,

आज सुध लीजे हमारी ।


गंगा जल स्नान कराऊँ,

पीताम्बर पहनाऊं,

आज सुध लीजे हमारी ।


गौरी गणेश मनाऊँ,

आज सुध लीजे हमारी,

गौरी गणेश मनाऊँ,

आज सुध लीजे हमारी ।


हरी हरी दूब मैं खूब चढ़ाऊँ,

चन्दन घोल लगाऊं,

आज सुध लीजे हमारी ।


गौरी गणेश मनाऊँ,

आज सुध लीजे हमारी,

गौरी गणेश मनाऊँ,

आज सुध लीजे हमारी ।


पहली पूजा करूँ तुम्हारी,

लड्डू भोग लगाऊं,

आज सुध लीजे हमारी ।


गौरी गणेश मनाऊँ,

आज सुध लीजे हमारी,

गौरी गणेश मनाऊँ,

आज सुध लीजे हमारी ।

दुर्गा अष्टमी क्यों मनाई जाती है

मासिक दुर्गा अष्टमी हर माह शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन जो भी साधक मां दुर्गा की पूरी श्रद्धा और लगन से व्रत करता है। मां उन सबकी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं।

तेरे दरशन को गणराजा, तेरे दरबार आए है (Tere Darshan Ko Ganraja Tere Darbar Aaye Hai)

तेरे दर्शन को गणराजा ॥
दोहा – नसीब वालों को हे गणराजा,

आरती ललिता माता की (Aarti Lalita Mata Ki)

श्री मातेश्वरी जय त्रिपुरेश्वरी।
राजेश्वरी जय नमो नमः॥

दिया थाली बिच जलता है(Diya Thali Vich Jalta Hai)

दिया थाली बिच जलता है,
ऊपर माँ का भवन बना,

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