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महल को देख डरे सुदामा (Mahal Ko Dekh Dare Sudama)

महल को देख डरे सुदामा

का रे भई मोरी राम मड़ईया

कहाँ के भूप उतरे


इत उत भटकत,चहुँ ओर खोजत

मन में सोच करे

का रे भई मोरी राम मड़ईया

प्रभु से विनय करे


कनक अटारी चढ़ी बोली सुंदरी

काहे भटक रह्यो

सकल सम्पदा है गृह भीतर

दीनानाथ भरे


प्रथम द्वार गजराज विराजे

दूजे अश्व खड़े

तीजे द्वार विश्वकर्मा बैठे

हीरा-रतन जड़े


दीनानाथ तिन्हन के अंदर

जा पर कृपा करे

सूरदास प्रभु आस चरण की

दुःख दरिद्र हरे

फागुन की रुत फिर से आई, खाटू नगरी चालो (Fagun Ki Rut Phir Se Aayi Khatu Nagri Chalo)

फागुन की रुत फिर से आई,
खाटू नगरी चालो,

नरसिंह द्वादशी क्यों मनाई जाती है

फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि के दिन नरसिंह द्वादशी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन विष्णु जी के अवतार भगवान नरसिंह की पूजा की परंपरा है।

प्रभु हम पे कृपा करना, प्रभु हम पे दया करना (Prabhu Humpe Daya Karna)

प्रभु हम पे कृपा करना,
प्रभु हम पे दया करना ।

श्री शाकम्भरी चालीसा (Shri Shakambhari Chalisa)

बन्दउ माँ शाकम्भरी, चरणगुरू का धरकर ध्यान ।
शाकम्भरी माँ चालीसा का, करे प्रख्यान ॥

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