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क्या करे इन हाथों का, इतने इतने हाथ,
कुमार मैने देखे, सुंदर सखी दो कुमार ।
कुलदेवी की पूजा, जो करता है दिन रात,
ये जिंदगी मिली है, दिन चार के लिए,
कुछ नहीं बिगड़ेगा तेरा, हरी शरण आने के बाद ।
क्षमा करो तुम मेरे प्रभुजी, अब तक के सारे अपराध
कृष्ण कन्हैया बंसी बजैया, नंदलाला घनश्याम रे,
कृष्ण जिनका नाम है, गोकुल जिनका धाम है,
कृष्ण घर नन्द के जन्मे, दुलारा हो तो ऐसा हो,
सबको मिला सहारा, महाकाल की शरण में,