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कृष्ण कन्हैया बंसी बजैया (Krishna Kanhaiya Bansi Bajaiya)

कृष्ण कन्हैया बंसी बजैया,

नंदलाला घनश्याम रे,

गोवर्धन गिरधारी कान्हा,

तेरे कितने नाम रे,

बोलो श्याम राधे श्याम,

बोलो श्याम राधे श्याम ॥


श्यामसखा गिरिवरधारी,

मुरली मनोहर बनवारी,

जितने सुंदर नाम है तेरे,

उतने सुंदर काम रे,

गोवर्धन गिरधारी कान्हा,

तेरे कितने नाम रे,

बोलो श्याम राधे श्याम,

बोलो श्याम राधे श्याम ॥


मोहन तुम ब्रज के ग्वाला,

रसिया माधव गोपाला,

तेरा ध्यान धरूँ नटनागर,

हर सुबह हर शाम रे,

गोवर्धन गिरधारी कान्हा,

तेरे कितने नाम रे,

बोलो श्याम राधे श्याम,

बोलो श्याम राधे श्याम ॥


इतना दो वरदान प्रभु,

कर दो यह एहसान प्रभु,

तेरे चरणों में बीते ये मेरी,

उम्र तमाम रे,

गोवर्धन गिरधारी कान्हा,

तेरे कितने नाम रे,

बोलो श्याम राधे श्याम,

बोलो श्याम राधे श्याम ॥


कृष्ण कन्हैया बंसी बजैया,

नंदलाला घनश्याम रे,

गोवर्धन गिरधारी कान्हा,

तेरे कितने नाम रे,

बोलो श्याम राधे श्याम,

बोलो श्याम राधे श्याम ॥

रुक्मिणी अष्टमी की कथा

पौष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रुक्मिणी अष्टमी के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण की पत्नी देवी रुक्मिणी के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। देवी रुक्मिणी मां लक्ष्मी का अवतार मानी जाती हैं और भगवान श्रीकृष्ण की आठ पटरानियों में से एक थीं।

भूमि पूजन विधि

किसी भी व्यक्ति के लिए घर उसका मंदिर होता है। इसी कारण से जब वो अपने घर के निर्माण कार्य की शुरुआत करता है, उससे पहले भूमि का पूजन करवाता है।

अपने दरबार में तू बुलालें (Apne Darbar Mein Tu Bula Le)

महाकाल बाबा उज्जैन वाले,
जीवन मेरा तेरे हवाले,

जब भी नैन मूंदो(Jab Bhi Nain Mundo Jab Bhi Nain Kholo)

जय राधे कृष्णा,
जय राधे कृष्णा,

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