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मदन गोपाल शरण तेरी आयो, चरण कमल की सेवा दीजै,
मात ज्वाला कर उजियाला, तेरी ज्योत जगाऊँ,
हे माँ, हे माँ, हे माँ, हे माँ
काशी वाले देवघर वाले, भोले डमरू धारी। खेल तेरे हैं निराले, शिव शंकर त्रिपुरारी।
माँ गौरी के लाल गजानन, आज आओ पधारो मेरे आँगन,
माँ दुर्गे आशीष दो माँ दुर्गे आशीष दो मन मे मेरे वास हो तेरा चरणो संग प्रीत हो ॥
माँ दिल के इतने करीब है तू, जिधर भी देखूं नज़र तू आए,
देखी तेरे दरबार माँ, छोटी-छोटी कन्याएं ।
मात भवानी अम्बे माँ, मेरी नैया भवर में है आ,
जुबां पे राम का नाम होना चाहिए, मन मंदिर में राम होना चाहिए,