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मात अंग चोला साजे (Maat Ang Chola Saje Har Rang Chola Saje)

हे माँ, हे माँ, हे माँ, हे माँ


मात अंग चोला साजे,

हर रंग चोला साजे

मात की महिमा देखो,

ज्योत दिन रैना जागे


तू ओढे लाल चुनरिया,

गहनो से करे श्रृंगार

शेरो पर करे सवारी,

तू शक्ति का अवतार

तेरे तेज बहरे दो नैना,

तेरे अधरों पर मुस्कान

तेरे द्वारे शीश झुकाये,

क्या निर्धन क्या बलवान

तेरे ही नाम का मात,

जगत में डंका बाजे

मात अंग चोला साजे...


ऊँचा है मंदिर तेरा,

ऊँचा तेरा अस्थान

दानी क्या कोई दूजा,

माँ होगा तेरे सामान

जो आए श्रद्धा लेके,

वो ले जाए वरदान

हे माता तू भगतो के,

सुख दुःख का रखे ज्ञान

तेरे चरणो में आके,

भाग्य कैसे ना जागे


भीष्म अष्टमी पर करें गंगा स्नान

भीष्म अष्टमी सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह दिन विशेष रूप से पितरों को समर्पित होता है, खासकर उन लोगों के लिए जिनके वंश में संतान नहीं होती। यह पर्व माघ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है।

मोहे होरी में कर गयो तंग ये रसिया माने ना मेरी(Mohe Hori Mein Kar Giyo Tang Ye Rashiyan Mane Na Meri)

मोहे होरी में कर गयो तंग ये रसिया माने ना मेरी,
माने ना मेरी माने ना मेरी,

श्री बगलामुखी चालीसा (Shri Baglamukhi Chalisa)

नमो महाविद्या बरदा, बगलामुखी दयाल।
स्तम्भन क्षण में करे, सुमरित अरिकुल काल।।

वैकुंठ चतुर्दशी की कथा

वैकुंठ चतुर्दशी हिंदू धर्म का एक अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है। ये कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और शिव जी का पूजन एक साथ किया जाता है।

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