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Heri Sakhi Mangal Gavo Ri..(हेरी सखी मंगल गावो री..)

चोख पुरावो, माटी रंगावो,

आज मेरे पिया घर आवेंगे

खबर सुनाऊ जो,

खुशी ये बताऊँ जो,

आज मेरे पिया घर आवेंगे ॥


हेरी/ओरी सखी मंगल गावो री,

धरती अम्बर सजाओ री,

उतरेगी आज मेरे पिया की सवारी,

हेरी कोई काजल लाओ री,

मोहे काला टीका लगाओ री,

उनकी छब से दिखूं में तो प्यारी,

लक्ष्मी जी वारो , नजर उतारो,

आज मेरे पिया घर आवेंगे ॥


रंगो से रंग मिले, नए-नए ढंग खिले,

खुशी आज द्वारे मेरे डाले है डेरा,

पीहू पीहू पपीहा रटे,

कुहू कुहू कोयल जपे,

आँगन-आँगन है परियो ने घेरा,

अनहद नाद. बजाओ रे सब-मिल,

आज मेरे पिया घर आवेंगे ॥


चोख पुरावो, माटी रंगावो,

आज मेरे पिया घर आवेंगे


खबर सुनाऊ जो,

खुशी ये बताऊँ जो,

आज मेरे पिया घर आवेंगे ॥


ओ शंकर मेरे, कब होंगे दर्शन तेरे (O shankar Mere Kab Honge Darshan Tere)

ओ शंकर मेरे,
कब होंगे दर्शन तेरे,

मैं तो तेरी हो गई श्याम: भजन (Me Too Teri Hogai Shayam, Dunyan Kya Jane)

मैं तो तेरी हो गई श्याम,
दुनिया क्या जाने,

उत्पन्ना एकादशी के नियम

उत्पन्ना एकादशी मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है। उत्पन्ना एकादशी की उत्पत्ति का उल्लेख प्राचीन भविष्योत्तर पुराण में मिलता है, जहां भगवान विष्णु और युधिष्ठिर के बीच एक महत्वपूर्ण संवाद में इसका वर्णन किया गया है।

श्री कुवेर चालीसा (Shree Kuveer Chalisa)

जैसे अटल हिमालय और जैसे अडिग सुमेर ।
ऐसे ही स्वर्ग द्वार पै, अविचल खड़े कुबेर ॥

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