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Heri Sakhi Mangal Gavo Ri..(हेरी सखी मंगल गावो री..)

चोख पुरावो, माटी रंगावो,

आज मेरे पिया घर आवेंगे

खबर सुनाऊ जो,

खुशी ये बताऊँ जो,

आज मेरे पिया घर आवेंगे ॥


हेरी/ओरी सखी मंगल गावो री,

धरती अम्बर सजाओ री,

उतरेगी आज मेरे पिया की सवारी,

हेरी कोई काजल लाओ री,

मोहे काला टीका लगाओ री,

उनकी छब से दिखूं में तो प्यारी,

लक्ष्मी जी वारो , नजर उतारो,

आज मेरे पिया घर आवेंगे ॥


रंगो से रंग मिले, नए-नए ढंग खिले,

खुशी आज द्वारे मेरे डाले है डेरा,

पीहू पीहू पपीहा रटे,

कुहू कुहू कोयल जपे,

आँगन-आँगन है परियो ने घेरा,

अनहद नाद. बजाओ रे सब-मिल,

आज मेरे पिया घर आवेंगे ॥


चोख पुरावो, माटी रंगावो,

आज मेरे पिया घर आवेंगे


खबर सुनाऊ जो,

खुशी ये बताऊँ जो,

आज मेरे पिया घर आवेंगे ॥


होली क्यों मनाई जाती है

फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन होली मनाई जाती है। इस दिन पूरा देश अबीर-गुलाल और रंग में सराबोर रहता है। हर कोई एक-दूसरे पर प्यार के रंग बरसाते हैं। होली के रंगों को प्रेम का प्रतीक भी माना जाता है।

चटक मटक चटकीली चाल, और ये घुंघर वाला बाल (Chatak Matak Chatkili Chaal Aur Ye Ghunghar Wala Baal)

चटक मटक चटकीली चाल,
और ये घुंघर वाला बाल,

वैशाख शुक्ल पक्ष की मोहिनी नामक एकादशी (Vaishaakh Shukl Paksh Kee Mohinee Naamak Ekaadashee)

भगवान् कृष्ण के मुखरबिन्द से इतनी कथा सुनकर पाण्डुनन्दन महाराज युधिष्ठिर ने उनसे कहा - हे भगवन् ! आपकी अमृतमय वाणी से इस कथा को सुना परन्तु हृदय की जिज्ञासा नष्ट होने के बजाय और भी प्रबल हो गई है।

मत्स्य द्वादशी कब है

भगवान विष्णु के 24 अवतारों में से एक मत्स्य अवतार की जयंती के रूप में मनाया जाने वाला मत्स्य द्वादशी पर्व इस साल दिसंबर में मनाया जाएगा। यह पर्व मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है ।

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