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पार होगा वही, जिसे पकड़ोगे राम (Paar Hoga Wahi Jise Pakdoge Ram)

पार होगा वही,

जिसे पकड़ोगे राम,

जिसको छोड़ोगे,

पलभर में डूब जाएगा ॥


तिरना क्या जाने,

पत्थर बेचारे,

तिरने लगे तेरे,

नाम के सहारे,

नाम लिखते आ गए है,

पत्थर में प्राण,

जिसको छोड़ोगे,

पलभर में डूब जाएगा।

पार होगा वहीँ,

जिसे पकड़ोगे राम,

जिसको छोड़ोगे,

पलभर में डूब जाएगा ॥


लंका जलाई,

लांघा समुन्दर,

राक्छस को मार आया,

छोटा सा बन्दर,

बस जपता रहा,

दिन रात तेरा नाम,

जिसको छोड़ोगे,

पलभर में डूब जाएग ॥


पार होगा वहीँ,

जिसे पकड़ोगे राम,

जिसको छोड़ोगे,

पलभर में डूब जाएगा ॥


सुनकर के बाते,

मुस्काए राम जी,

मारे ख़ुशी के नाचे,

हनुमान जी,

भक्त देखा ना,

बनवारी तेरे समान,

जिसको छोड़ोगे,

पलभर में डूब जाएगा ॥


पार होगा वहीँ,

जिसे पकड़ोगे राम,

जिसको छोड़ोगे,

पलभर में डूब जाएगा ॥


पार होगा वही,

जिसे पकड़ोगे राम,

जिसको छोड़ोगे,

पलभर में डूब जाएगा,

जिसको छोड़ोगे,

पलभर में डूब जाएगा ॥

साल में दो दिन क्यों मनाई जाती है जन्माष्टमी, जानिए स्मार्त और वैष्णव संप्रदाय के बारे में जो मनाते हैं अलग-अलग जन्माष्टमी?

जन्माष्टमी का त्योहार दो दिन मनाने के पीछे देश के दो संप्रदाय हैं जिनमें पहला नाम स्मार्त संप्रदाय जबकि दूसरा नाम वैष्णव संप्रदाय का है।

दया करो हे दयालु गणपति (Daya Karo Hey Dayalu Ganpati)

शरण में आये है हम तुम्हारी,
दया करो हे दयालु गणपति,

मेरे सरकार आये है(Mere Sarkar Aaye Hain)

सजा दो घर को गुलशन सा,
मेरे सरकार आये है,

श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने मे (shri ram janki bethe hai mere seene me)

श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने मे,
देख लो मेरे दिल के नगीने में II