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नारायणी शरणम्(Narayani Sharanam)

नारायणी शरणम
दोहा – माँ से भक्ति है,
माँ से शक्ति है,
माँ से मुक्ति है,

करता जो माँ का सुमिरन,
होता सफल ये जीवन
नारायणी शरणम,
नारायणी शरणम्,
नारायणी शरणम् ॥
अष्टभुजंग है दुर्गा स्वरूपिनी,
तेज है सौ सूर्यों सा,
चंदा सी शीतल ज्ञान शारदे,
पावन ज्यूँ गंगा जल,
देव करे वंदन,
नारायणी शरणम्,
नारायणी शरणम् ॥
माँ की ज्योत में है वो शक्ति,
पत्थर बनते मोती,
पापी से भी हर पापी को ये,
मैया ही है उबारती,
होता सफल हर जनम,
नारायणी शरणम्,
नारायणी शरणम् ॥
झुँझन में माँ बैठ सिंहासन,
सबके कष्ट मिटाती,
बड़ी दयालु राणी सती माँ,
सबपे खुशियां लुटाती,
माँ का करो सुमिरन,
नारायणी शरणम्,
नारायणी शरणम् ॥
मिलता सुकून माँ तेरे आँचल में,
सुख तेरे चरणन में,
‘निर्मल’ है जो भी आज वो मैया,
सब तेरे ही करम से,
गाउँ मैं गुण हरदम,
नारायणी शरणम्,
नारायणी शरणम् ॥

नारायणी शरणम,
नारायणी शरणम्,
नारायणी शरणम् ॥

मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर कैसे करें तर्पण

मार्गशीर्ष माह भगवान कृष्ण, जगत के पालनहार श्री हरि विष्णु और माता लक्ष्मी को समर्पित होता है। ऐसे में इस माह में जो पूर्णिमा तिथि आती है।

फुलेरा दूज का श्रीकृष्ण से संबंध

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नमामि-नमामि अवध के दुलारे(Namami Namami Awadh Ke Dulare)

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जया एकादशी व्रत नियम

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